खबर लहरिया Blog Bihar Election: वोटर लिस्ट का हो रहा पुनरीक्षण, जानिए चुनाव आयोग के दिशानिर्देश  

Bihar Election: वोटर लिस्ट का हो रहा पुनरीक्षण, जानिए चुनाव आयोग के दिशानिर्देश  

बिहार में चुनाव को लेकर वोटर लिस्ट की पुनरीक्षण किया जा रहा है। पुनरीक्षण कार्यक्रम के दौरान जो लोग मतदाता पहचान पत्र के लिए दस्तावेज का सत्यापन नहीं कराएंगे उनका नाम सूची से काट दिया जाएगा।

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सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: NDTV न्यूज़)

बिहार में इस साल विधान सभा चुनाव है। बिहार में मतदाता सूची (Voter List) को अपडेट करने का काम भी जोरों से किया जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि बिहार में वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण बेहद जरुरी है। बिहार में जारी वोटर लिस्ट पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत जो लोग मतदाता पहचान पत्र के लिए दस्तावेज का सत्यापन नहीं कराएंगे उनका नाम सूची से काट दिया जाएगा।

क्या है चुनाव आयोग का निर्देश 

चुनाव आयोग ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब कई विपक्षी दलों ने कहा है कि गहन पुनरीक्षण के कारण राज्य मशीनरी का उपयोग करके बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किए जाने का खतरा है। 

मतदाता सूची में संसोधन जरुरी

 चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदाता सूची में समय समय पर संसोधन जरुरी होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोगों की मौत, स्थानांतरण (एक जगह से दूसरी जगह जाने) और 18 साल के नए मतदाताओं के जुड़ने से यह सूची लगातार बदलती रहती है।

BLO देख सकेंगे पूरी जानकारी  

बूथ लेवल अधिकारी (BLO) और मतदाता दोनों ही इस सूची से जानकारी देख सकेंगे। अगर किसी का नाम 2003 की सूची में नहीं है तो वह मां या पिता का नाम उस सूची में देखकर दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। इसके लिए किसी और दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।

कौन बन सकता है मतदाता 

संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, 18 साल से ज्यादा उम्र के भारतीय नागरिक जो किसी खास निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हों वही मतदाता बनने के पात्र हैं।

किसे जमा करना है दस्तावेज 

जिनका नाम या विवरण 2003 की सूची में नहीं है उन्हें खुद के दस्तावेज और भरा हुआ गणना फॉर्म देना होगा।

हर चुनाव से पहले होता है संसोधन 

चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि चुनाव आयोग से पहले मतदाता सूची में संसोधन जन प्रतिनिधित्व अधिनीयम 1950 और मतदाता पंजीकरण अधिनियम 1960 के तहत अनिवार्य होता है।

2003 की सूची ऑनलाइन उपलब्ध 

बिहार की 2003 की मतदाता सूची आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का डेटा है जिसे लोग दस्तावेजी प्रमाण के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

60 प्रतिशत लोगों को नहीं देने होंगे दस्तावेज 

चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार की 2003 की मतदाता सूची की वजह से इस बार कई लोगों को दस्तावेज जमा करने की जरुरत नहीं होगी। लगभग 60 प्रतिशत मतदाताओं को सिर्फ इस पुरानी सूची से अपना नाम मिलान करना होगा और गणना फॉर्म जमा करना होगा।

मान्य और अमान्य दस्तावेज

मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम के दौरान चुनाव आयोग ने जिन दस्तावेजों को मान्यता दी है उसे ही जमा किया जा सकता है। आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस को दस्तावेज के सूची में शामिल नहीं किया गया है।

सत्यापन के लिए चुनाव आयोग में 11 प्रकार के दस्तावेजों को मान्य किया गया है। इसमें केंद्र या राज्य सरकार के नियमित कर्मचारी या पेंसनभोगी कर्मियों का पहचान पत्र, सरकार या स्थानीय अधिकार जैसे बैंक, डाकघर, एलआईसी आदि द्वारा 1 जुलाई 1987 के पहले किया गया कोई भी प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षिक प्रमाण पत्र, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, सरकार द्वारा कोई भी भूमि या मकान आवंटन का प्रमाण पत्र शामिल है।

पुनरीक्षण कार्यक्रम की समय सीमा 

25 जून से शुरू हुआ गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम 26 जुलाई तक चलेगा। इसके बाद अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 30 सितंबर को किया जाएगा।

विपक्षी दल चुनाव आयोग की इस कोशिश का विरोध जता रहे हैं

दूसरी ओर विपक्षी दल चुनाव आयोग की इस कोशिश का विरोध जता रहे हैं। उनका आरोप है कि इसके बहाने एनआरसी लागू की जा रही है। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं का कहना है कि विपक्ष चुनाव में मिलने वाली हार के लिए बहाना तलाश रहा है। 

NDTV के अनुसार, एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि चुनाव आयोग बिहार में गुप्त तरीके से एनआरसी लागू कर रहा है। उन्होंने कहा है कि इसका नतीजा यह होगा कि बिहार के गरीबों की बड़ी संख्या को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा है कि चुनाव नजदीक होने की वजह से इस तरह की कार्रवाई से लोगों का चुनाव आयोग पर भरोसा कम होगा। ओवैसी ने पूरी प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे संदेहास्पद और चिंताजनक बताया है। उनका कहना है कि बीजेपी और आरएसएस इसी तरह से बिहार के गरीबों के मतदान का अधिकार खत्म कर देना चाहती है। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर चार पन्ने का एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की घोषणा को चिंताजनक बताया। उन्होंने पूछा है कि चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाने की जरूरत क्यों पड़ी। तेजस्वी ने सत्यापन के लिए जरूरी दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड के न होने पर भी संदेह जताया है।

मतदाताओं को मतदान केंद्र या मतदाता सूची आदि से संबंधित यदि किसी प्रकार की शिकायत, जानकारी या सुझाव है तो वे पटना कलेक्ट्रेट में संपर्क कर सकते हैं। टोल फ्री नंबर 1950 पर फोन कर जानकारी लिया जा सकता है। जिला प्रशासन ने मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम को देखते हुए जिला संपर्क केंद्र की स्थापना की है। केंद्र के संचालन के लिए 14 लोगों की टीम बनाई गई है। 

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