ताड़ का पेड़ दिखने में खजूर जैसा होता है और बहुत ऊँचा होता है जिस पर चढ़ना मुश्किल होता है। पासी समुदाय के लोग भी पैरों में रस्सी लगाकर पेड़ पर चढ़ते हैं। ताड़ी में भी शराब की तरह नशा होता है लेकिन इसमें शराब से कम एलकोहल की मात्रा होती है लेकिन नुकसान इसके भी बहुत है।
बिहार विधानसभा 2025 के लिए अब ‘ताड़ी’ चुनाव जीतने के लिए मुद्दा बन गई है। हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जेडीयू पार्टी के नेता मुन्ना चौधरी जो कि अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ से भी हैं, उन्होंने मांग की है कि ताड़ी पर से प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए। यह बात उन्होंने तब कही जब पटना के जेडीयू दफ्तर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे थे। इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अप्रैल 2025 में ताड़ी को लेकर सरकार बनने पर शराब बंदी कानून से अलग करने की बात कही थी।
बिहार में शराब को लेकर पूरी तरह से 2016 में प्रतिबंध लगाया गया था जिसमें ताड़ी बेचने पर भी प्रतिबंध था। ताड़ी बेचने का काम बिहार में पासी समुदाय के लोग करते हैं। ताड़ी उनके लिए आजीविका का स्रोत है जिसकी वजह से उनके रोजगार पर भी असर पड़ रहा है।
ताड़ी / Tadi or toddy क्या है?
ताड़ी बिहार में ताड़ के पेड़ से निकलने वाला पेय पदार्थ है। इसे बिहार के अधिकतर जिलों में पासी समुदाय के लोग ताड़ के पेड़ से निकालते हैं। ताड़ के फल को हल्का सा काट कर उसमें लबनी यानी मिट्टी का मटका लटका दिया जाता है ताकि रस चु कर लबनी में गिरे। जब लबनी कुछ ताड़ी से भर जाती है तो उसे उतार लिया जाता है। ताड़ का पेड़ दिखने में खजूर जैसा होता है और बहुत ऊँचा होता है जिस पर चढ़ना मुश्किल होता है। पासी समुदाय के लोग भी पैरों में रस्सी लगाकर पेड़ पर चढ़ते हैं। ताड़ी में भी शराब की तरह नशा होता है लेकिन इसमें शराब से कम एलकोहल की मात्रा होती है लेकिन नुकसान इसके भी बहुत है। ताड़ी का अधिक सेवन करने से नशा होता है जिसका असर परिवारिक जीवन पर भी पड़ता है।
जेडीयू / JDU के नेता की ताड़ी से प्रतिबंध हटाने की मांग
जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी के नेता मुन्ना चौधरी ने जेडीयू दफ्तर में मीडिया के सामने ताड़ी पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की। न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार नेता मुन्ना चौधरी ने कहा – माननीय मुख्यमंत्री जी ताड़ी पर प्रतिबंध लगाया है उसको हटाना जरुरी है। 2016 में प्रतिबंध लगाए थे उससे पहले 2010 से ही मैं कह रहा हूँ प्रतिबंध हटाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि यदि प्रतिबंध नहीं हटाया जाता तो विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है।
बिहार में ताड़ी पर सियासत जारी..CM से ताड़ी पर बैन हटाने की माँग..JDU नेता की मांग पर सियासी घमासान..#Bihar #BiharNews #CmNitish #BiharPolitics pic.twitter.com/kzrZiUst2S
— News18 Bihar (@News18Bihar) May 26, 2025
इससे पहले आरजेडी / RJD ने ताड़ी प्रतिबंध हटाने की बात कही
राष्ट्रीय जनता दल द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि हमारी सरकार बनने पर पासी भाइयों की आजीविका के लिए प्राकृतिक पेय पदार्थ “ताड़ी” बेचने पर पाबंदी को बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम-𝟐𝟎𝟏𝟔 से बाहर कर देंगे। यह कॉन्फ्रेंस 8 मार्च 2025 को की गई थी।
अप्रैल 2025 के एक कार्यक्रम में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ताड़ी के लबनी (मिट्टी के मटके) के साथ पासी समुदाय के लोगों के साथ स्टेज पर दिखाई दिए।
“जनता की सरकार, यानी हमारी महागठबंधन की सरकार बनते ही ताड़ी को शराबबंदी कानून से अलग किया जाएगा क्योंकि ये एक पारंपरिक व्यवसाय है और साथ ही ताड़ी के व्यवसाय को उद्योग की श्रेणी में लाएंगे!”- @yadavtejashwi #India #TejashwiYadav #trend #Bihar pic.twitter.com/Yeur8mi8Lr
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) April 27, 2025
तेजस्वी यादव ने कहा कि “जनता की सरकार, यानी हमारी महागठबंधन की सरकार बनते ही ताड़ी को शराब बंदी कानून से अलग किया जाएगा क्योंकि ये एक पारंपरिक व्यवसाय है और साथ ही ताड़ी के व्यवसाय को उद्योग की श्रेणी में लाएंगे!”-
उन्होंने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए कहा – “शराबबंदी क़ानून के तहत अब तक लगभग 𝟏𝟐 लाख 𝟖𝟎 हज़ार लोगों को जेल भेजा गया है जिसमें 𝟗𝟖-𝟗𝟗% लोग दलित और अतिपिछड़े वर्गों के है। इस कानून की आड़ में 𝐍𝐃𝐀 सरकार द्वारा ग़रीबों को अत्यधिक परेशान किया गया है। दलित और पासी समाज की एक बड़ी आबादी का शारीरिक, सामाजिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
पासी समाज के साथ कई राउंड की वार्ता के उपरांत आज प्रेस कांफ्रेंस में हमने घोषणा कि हमारी सरकार बनने पर पासी भाइयों की आजीविका के लिए प्राकृतिक पेय पदार्थ “ताड़ी” बेचने पर पाबंदी को बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम-𝟐𝟎𝟏𝟔 से बाहर कर देंगे।
शराबबंदी क़ानून के तहत अब तक लगभग… pic.twitter.com/zq0jzZnxp8
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 6, 2025
ताड़ी बंद होने से पासी समाज के सामने आजीविका का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया था, अब तक जैसे तैसे उन्होंने जीवन यापन किया लेकिन अब गरीबी के कारण जीना भी मुश्किल हो रहा है। सरकार ने पासी भाइयों के लिए नीरा शुरू करने की योजना बनाई थी लेकिन इस सरकार ने उसे भी विफल कर दिया है इसलिए ताड़ी शुरू करना अत्यावश्क है।
माननीय न्यायालय ने शराबबंदी कानून पर कहा है कि “बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम 𝟐𝟎𝟏𝟔 अपने उद्देश्य से भटक गया है। शराबबंदी कानून की कड़ी शर्तें पुलिस के लिए एक सुविधाजनक उपकरण बन गई हैं. पुलिस अक्सर तस्करों के साथ मिलीभगत में काम करती है. कानून से बचने के लिए नए तरीके विकसित किए गए हैं।”
ताड़ी प्रतिबंध पर तेजस्वी यादव को एनडीए और कांग्रेस का समर्थन
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव के ताड़ी प्रतिबंध हटाने की बात पर कई पार्टियों ने समर्थन किया। द प्रिंट की रिपोर्ट में सामने आया कि उन्हें न केवल महागठबंधन के सहयोगियों से समर्थन मिला है बल्कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) जैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लोगों का भी समर्थन मिला।
पासी समुदाय के समर्थन और वोट के लिए ताड़ी की राजनीति
ताड़ी पर प्रतिबंध हटाने की मांग के पीछे वोटों की राजनीती है। इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में पासी समुदाय का वोट किसी भी पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। द प्रिंट की 8 मार्च 2025 की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में जारी बिहार जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी), जिन्हें दलित भी कहा जाता है, राज्य की आबादी का लगभग 20 प्रतिशत है। बिहार जाति सर्वेक्षण के अनुसार, पासी राज्य की आबादी का मुश्किल से 0.98 प्रतिशत हिस्सा हो सकते हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियां अभी से समर्थन प्राप्त करने के लिए जुट गई है ताकि आने वाले चुनाव में उनकी सरकार बन सके। भले इसके पीछे की राजनीति कुछ भी हो।
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