Bihar caste-based survey 2023: 2 अक्टूबर सन् 2023 को बिहार सरकार ने जाति जनगणना का आंकड़ा दिया है, जिसमें यह निकलकर सामने आया कि बिहार हिंदुत्व है। बिहार में हिंदू समाज ज़्यादा है और हिंदू में भी सबसे ज़्यादा अगर कोई जाति है तो वह है यादव जाति बाकी सभी जातियों का जो परसेंटेज है वह बहुत कम परसेंटेज है जो बिहार सरकार ने ज़ारी किया है ।
इस पर लोगों ने बताया कि एक जगह पर कुर्सी डाल करके बैठ जाते थे और वहीं से सब का डाटा मिल जाता था। कुछ महिलाओं का कहना है कि हम घर पर नहीं थे तो हमको नहीं पता है कि कैसे है। हां, यह पता है कि सर्वे करने के लिए आए थे पर किस चीज का सर्वे है यह हमको नहीं बताया। कैसे सर्वे हुआ यह भी नहीं बताया। सरकार जनगणना करवा रही है बस यही बोलकर के डाटा इकट्ठा कर लिया गया।
सरकार ने जो 2 अक्टूबर को जाति आधारित आंकड़ा जारी किया है उसकी रिपोर्ट कुछ इस तरह से है।
इस गणना के मुताबिक बिहार में हिंदुओं की सर्वाधिक आबादी है। ये आबादी 81.9986 फीसदी है। वहीं अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी, पिछड़े वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत, SC-19.65 फीसदी, ST- 1.6 प्रतिशत और मुसहर की आबादी 3 फीसदी बताई गई है। बिहार सरकार की जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की कुल आबादी तेरह करोड़ से ज्यादा यानी 13,07,25,310 है।
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बिहार में कौन-सी जाति कितनी फीसदी
बिहार में जातीय जनगणना के जो आंकड़े ज़ारी किए गए हैं, उसके मुताबिक राज्य में सबसे ज़्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है। आबादी के हिसाब से अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी है जिसकी संख्या 4,70,80,514 है। वहीं पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी है जिनकी तादाद 3,54,63,936 है। जबकि अनुसूचित जाति के 19.6518% हैं, इनकी आबादी 2,56,89,820 है। वहीं अनुसूचित जनजाति की आबादी 21,99,361 है जो कि कुल आबादी का 1.6824% है। अनारक्षित यानी जनरल कास्ट, जिसे सवर्ण भी कह सकते हैं, उनकी आबादी 2 करोड़ 02 लाख 91 हजार 679 है। ये बिहार की कुल आबादी का 15.5224 प्रतिशत है।
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बिहार में जातियों का प्रतिशत
इस रिपोर्ट में नीतीश सरकार ने कुल 215 जातियों का आंकड़ा ज़ारी किया है। इन आंकड़ों के मुताबिक बिहार में जाति के हिसाब से जनसंख्या इस तरह से है।
- मुसलमान- 17. 7088 फीसदी
- यादव- 14. 2666 फीसदी
- कुर्मी- 2.8785 फीसदी
- कुशवाहा- 4.2120 फीसदी
- ब्राह्मण- 3.6575 प्रतिशत
- भूमिहार- 2.8683 प्रतिशत
- राजपूत- 3.4505 प्रतिशत
- मुसहर- 3.0872 प्रतिशत
- मल्लाह- 2.6086 फीसदी
- बनिया- 2.3155 फीसदी
- कायस्थ- 0.60 फीसदी।
बहुत से लोगों ने कहा कि यह जो आंकड़ा सरकार ने दिया है यह बहुत ही गलत है। जो 1931 में सरकार ने जाति गणना करवाई थी उसके आधार पर सरकार ने यह लिस्ट ज़ारी की है। घर-घर जाकर लोगों के यहां पर गणना नहीं करवाई गई है।
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