18 जून से अभी तक सारण जिले के साथ-साथ किशनगंज, अररिया, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और सीवान में पुल ढहे हैं।
बिहार में पिछले दो हफ़्तों में अब तक कुल 10 पुलों के ढहने की खबर है. अधिकारियों ने इसकी जानकारी आज वीरवार को दी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार,पिछले 24 घंटे में सारण जिले में दो पुल ढह गए हैं। हालांकि, किसी के भी हताहत होने की खबर सामने नहीं आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह पुल 15 साल पुराना था जो गंडकी नदी के ऊपर बनाया गया था। यह पुल सारण जिले के कई गांवो को सिवान जिले से जोड़ता था।
सारण जिले के जिला अधिकारी अमन समीर ने कहा कि, “जिले में छोटे पुलों के धवस्त होने की वजह ढूंढने के लिए उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।”
इसके आलावा सारण जिले के जनता बाज़ार और लाहलादपुर में भी बुधवार, 3 जुलाई को दो छोटे पुल ढह गए थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 3 जुलाई को बिहार में भी तीन छोटे पुल ढहे हैं।
18 जून से अभी तक सारण जिले के साथ-साथ किशनगंज, अररिया, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और सीवान में पुल ढहे हैं।
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पुलों के संरचनात्मक ऑडिट की मांग
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार,”पिछले दो सप्ताह में नौ पुलों के ढहने की रिपोर्ट के बाद बिहार में सभी पुलों के संरचनात्मक ऑडिट की मांग करते हुए सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।” इसमें कमज़ोर ढांचे को धवस्त करने या फिर बनाने के निर्देश ज़ारी करने की भी मांग की गई है।
याचिकाकर्ता और वकील ब्रजेश सिंह ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार को ऑडिट कराने का निर्देश जारी करने का निवेदन किया है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि बिहार में पुल ढहने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को जल्द विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि दो साल के अंदर, तीन प्रमुख निर्माणाधीन पुल जिसमें बड़े, मध्यम और छोटे पुल शामिल हैं, उनके ढहने की कई घटनाएं सामने आई हैं।
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सालों पुराने थे पुल
बुधवार 3 जुलाई को सीवान जिले में तीन छोटे पुल ढहे थे। पहला छोटा पुल 1998 में 6 लाख के एमपीएलएडी (संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना) फण्ड से महाराजगंज की देवरिया पंचायत में गंडक नदी के ऊपर बनाया गया था। दूसरा पुल भी 10 लाख रूपये के एमपीएलएडी फंड के ज़रिये 2004 में नौतन सिकंदरपुर में धमाही नदी पर बनाया गया था। तीसरा पुल तेघरा इलाके में ढहा।
वहीं सारण जिले में जो पुल गिरा, वह औपनिवेशिक युग में बनाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, जब पुल गिरे तो उस समय ब्रिज पर किसी भी तरह का ट्रैफिक नहीं था।
इस पूरे मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि,”यह गंभीर चिंता का विषय है कि बिहार जैसे राज्य में, जो भारत का सबसे अधिक बाढ़ वाला राज्य है, राज्य में कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68,800 वर्ग किमी है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73.06 प्रतिशत है। इसलिए बिहार में पुल गिरने की ऐसी नियमित घटना बेहद खतरनाक है क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों का जीवन खतरे में है। इसलिए लोगों के जीवन को बचाने के लिए इस माननीय न्यायालय का हस्तक्षेप करना ज़रूरी है क्योंकि निर्माणाधीन पुल पूरा होने से पहले ही नियमित रूप से ढह जाते थे।”
उन्होंने यह भी मांग की है कि बिहार में चल रहे पुल निर्माण कार्य के लिए संबंधित उच्चस्तरीय विशेषयों को शामिल कराया जाए। जो बिहार में सभी मौजूदा और निर्माणधीन पुलों की निरंतर देख-रेख कर सकें। इसके साथ ही सभी पुलों की स्थिति का व्यापक डेटाबेस तैयार कर सकें।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार इन मामलों को लेकर जांच के आदेश दे चुकी है लेकिन वजह का पता नहीं चल पाया है. लोग पुल ढहने को इस समय लगातार हो रही बारिश से भी जोड़कर देख रहे हैं। हालाँकि, यह कई वजहों में से एक वजह हो सकती है पर पूर्णतयः नहीं। आज की तारीख में 10 पुलों के ढहने की खबर अधिकारियों द्वारा दी गई है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि आगे कोई और पुल नहीं गिरेगा।
पुलों का गिरना सरकार के निर्माण कार्यों व ढांचेगत फैसलों को लेकर भी सवाल उठाने का काम कर रहा है कि इस बार ऐसा क्या हुआ कि एक के बाद एक सभी पुल गिरने लगे।
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