अगर मानव जीवन के इतिहास और सबूत की बात की जाए तो आप और हम यह बात काफ़ी अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे पूर्वज आदिमानव थे जोकि गुफाओं में रहा करते थे। उस समय न तो भाषा का विकास हुआ था और न ही किसी और तरह के संसाधन का।
बातचीत के लिए वह इशारे या चित्रों का इस्तेमाल करते थे। जिन्हें की हम पुरानी गुफ़ाओं में चित्रों के रूप देख सकते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक बेहद पुरानी गुफ़ा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका अस्तित्व लिखित इतिहास से भी पहले का है। मध्यप्रदेश की भीमबेटका की गुफाएं। तो आइए जानते हैं इसका इतिहास।
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यहां मौजूद हैं भीमबेटका की गुफाएं
भीमबेटका मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। जिसे हम भीमबेटका रॉक शेल्टर के नाम से भी जानते हैं। भीमबेटका अपनी हज़ारों सालों पुरानी गुफ़ाओं की वजह से जाना जाता है। ये गुफ़ाएँ भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में पायी जाती हैं। गुफ़ाएँ चारों तरफ़ से विंध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध ‘नव पाषाण काल‘ से माना गया है। भीमबेटका गुफ़ाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं। इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ शुरू हो जाती हैं।
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भीमबेटका गुफ़ाओं की विशेषताएं
भीमबेटका गुफ़ाओं की विशेषता यह है कि यहाँ कि चट्टानों पर हज़ारों साल पहले बनी चित्रकारी आज भी पायी जाती है। आज भी यहां तकरीबन 500 गुफ़ाएँ मौजूद हैं। साथ ही भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया था। इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
गुफ़ाओं की खोज डॉ. वीएस वाकांकर ने की थी
भीमबेटका गुफाओं की पहचान देश के सबसे बड़े प्रागैतिहासिक कला के खजाने के रूप में किया जाता है। भारत के प्रसिद्ध पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. वीएस वाकांकर ने इन गुफाओं की खोज की थी। 1958 में नागपुर जाने के रास्ते में अचानक से ही दूर की एक पहाड़ी से पर उन्होंने इन गुफाओं को देखा था। भीमबेटका नाम भीम और वाटिका, दो शब्दों से मिल कर बना है। यह पूरी जगह पत्थरों और गुफ़ाओं के साथ–साथ सागवन और सखुआ पेड़ों से घिरी हुई हैं।
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लिखित इतिहास से भी पुरानी है गुफाएं
यह मध्य भारत के पुराने स्थलों में से एक है। यह स्थान लिखित इतिहास के समय से भी पहले का है। माना जाता है कि यह पुरापाषाण और मध्यपाषाण काल के समय से है। पुरापाषाण वह समय था जब मानव ने पत्थरों से औज़ार बनाना शुरू किये थे। मध्यपाषाण काल में इंसान ने आग की खोज की थी और धीरे–धीरे खेती भी करने लगा था और यहीं से आधुनिक मानव का भी विकास हुआ था। इन बातों से हम यह तो अंदाज़ा लगा ही सकतें हैं कि भीमबेटका की गुफाएं हमारे इतिहास की बेहद पुराने इतिहासों में से एक है।
शुरुआती मानव जीवन के प्रतिबिंब को दिखाती है गुफ़ा
भीमबेटका गुफ़ाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। यहां के पत्थर और गुफाएं सांस्कृतिक विकास, कृषि, शिकारी और शुरुआती जीवन का प्रमाण देते हैं। यहां दस किलोमीटर में सात पहाड़ियां और 750 से अधिक रॉक शेल्टर है। जिनमें से कुछ तो 10,000 साल पहले से ही बसे हुए हैं।
भीमबेटका गुफ़ाओं में बहुत सी तस्वीरें लाल और सफ़ेद रंग की हैं जिनमें दैनिक जीवन की घटनाओं से ली गई विषय वस्तुएँ चित्रित हैं, जो हज़ारों साल पहले के जीवन को दिखाती हैं।असल में, गुफ़ाओं में बने चित्र ही यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। खोजकर्ताओं द्वारा यह भी बताया गया कि भीमबेटका की गुफ़ाओं के चित्र ऑस्ट्रेलिया के सवाना क्षेत्र और फ्रांस के आदिवासी शैल चित्रों से मिलते हैं जो कालीहारी मरुस्थल के बौनों द्वारा बनाया गया था। इन गुफाओं का इस्तेमाल अलग–अलग समय में आदिमानवों ने अपने घर के रूप में किया था। इसलिए यहां उकेरे गए चित्र उनकी जीवनशैली और सांसारिक गतिविधियों को दर्शाते हैं।
माना जाता है कि भीम से भीमबेटका नाम पड़ा
माना जाता है कि महाभारत में पांडवों के बीच दूसरे भाई भीम के नाम पर भीमबेटका का नाम रखा गया। कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि भीम ने अपने भाइयों के साथ निर्वासित होने के बाद यहां विश्राम किया था। लोगों का यह भी कहना है कि वह इन गुफाओं के बाहर और पहाड़ियों के ऊपर क्षेत्र में लोगों के साथ बातचीत करने के लिए बैठते थे।
कैसे पहुंचें
हवाईजहाज से – राजा भोज हवाईअड्डा
ट्रेन से – यहां आने तक कि कोई सीधी ट्रेन नहीं है। पर भोपाल जंक्शन यहां आने के लिए सबसे नजदीकी स्टेशन है। आप इसके बाद टैक्सी या बस से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
अगर आप सड़क से या अपने साधन से आ रहे हैं तो प्रमुख शहरों से भीमबेटका की दूरी:
भोपालः 46 किलोमीटर
नई दिल्लीः 795 किलोमीटर
मुंबईः 818 किलोमीटर
स्थान – मध्यप्रदेश, भोजपुर, रायसेन जिला
खुलने का समय – रोज़ सुबह 7 से शाम के 6 बजे तक
यह स्थान भोपाल से 46 किमी की दूरी पर भोपाल–होशंगाबाद राजमार्ग पर रायसेन जिले में ओबेदुल्लागंज कस्बे से 9 किमी की दूरी पर है। यहां आने पर 50 रुपये प्रति पर्यटक शुल्क ( 100 रुपये विदेशियों के लिए) आपको देना होगा। अगर आप जगह घूमने के लिए गाइड चाहते हैं तो उसके लिए आपको अलग से पैसे देने होंगे। यहां ऊपर गुफ़ाओं में आपको कुछ भी खाने–पीने को नहीं मिलेगा। मध्यप्रदेश में पर्यटकों के लिए काफ़ी अच्छे रेस्टोरेंट और ढाबे हैं, जहां से आप अपने लिए खाना खरीद कर साथ रख सकते हैं। यहां पर्यटकों के घूमने के लिए 12 गुफाएं खोली गयी हैं।
अगर आप मध्यप्रदेश आने की सोच रहे हैं तो भीमबेटका ज़रूर आए। यहां न आपको मानव जीवन के इतिहास की झलक मिलेगी बल्कि उनके वजूद के भी काफ़ी सारे सबूत गुफ़ाओं पर उकेरे हुए मिलेंगे।