लड़कियों में स्कूल आने-जाने का डर बना रहता है क्योंकि आए दिन बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले सामने आते हैं। ऐसी ही स्थिति यूपी के जिला चित्रकूट, बरगढ़ कोतवाली थाना क्षेत्र की है जहां 26 अक्टूबर 2024 को एक नर्स के साथ सामुहिक बलात्कार किया गया। इस खबर को सुनकर आसपास की लड़कियां स्कूल जाने से डर रही हैं। जब लड़कियों की सुरक्षा ही नहीं है तो वे कैसे बिना डरे पढ़े और आगे बढ़े ?
लेखन – सुचित्रा
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को आज 22 जनवरी 2025 को पुरे 10 साल हो गए हैं। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बेटियों के जन्मदर में कमी को कम करना, महिलाओं को यौन शोषण से बचाना और महिलाओं को शिक्षित करना है। यह अभियान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से चलाई जा रही एक पहल है।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के 10 साल पूरे होने पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 22 जनवरी 2025 को उद्घाटन समारोह किया जा रहा है। इस समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा के साथ कई महिला संगठन भी शामिल होंगे। 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बीजेपी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है – ‘एक दशक – हमारा दशक’। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि बेटियों के लिंग अनुपात, बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना और 97% सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनाए गए हैं।
एक दशक – हमारा दशक
मोदी सरकार की विभिन्न योजनाओं से हर क्षेत्र में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी…#BetiBachaoBetiPadhao pic.twitter.com/OlnE48yMet
— BJP (@BJP4India) January 22, 2025
‘बेटी पढ़ाओ’ अभियान में आने वाली बाधा
बेटियां भी अब आगे बढ़ रही है इसमें कोई संदेह नहीं है। बेटियों ने भी शिक्षा लेकर परिवार और देश का नाम रोशन किया है। बेटियां भी हर क्षेत्र में काम कर ही हैं, लेकिन आज 10 साल बाद भी देश की बहुत सी बेटियां ऐसी हैं जो पढ़ नहीं पा रही हैं। आज भी बेटियों को स्कूल तक पहुंचने में कई बाधाओं को पार करना पड़ता है जैसे – सड़कों कागांव में हाई स्कूल का न होना, रास्ता खराब होना,या कई गांवो में तो रास्ता ही नहीं है। लड़कियों के साथ स्कूल जाते समय छेड़छाड़ की घटना, स्कूल में शौचालय की हालत खराब होना, स्कूल की इमारत जर्जर होना। ये सभी शिक्षा में आने वाली बाधाएं हैं जो बेटियों को पढ़ने से रोकती हैं। इन सभी बाधाओं पर खबर लहरिया की रिपोर्टिंग ने सवाल उठाये और ऐसे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास भी किया। तो चलिए खबर लहरिया की उन खबरों को देखते हैं जहां ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान दम तोड़ता दिखा।
गाँव में हाई स्कूल न होने से बेटियों के भविष्य में आई बाधा
बेटियां पढ़ना तो चाहती है लेकिन उनके गांव में आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल और कॉलेज नहीं है। उन्हें या तो गांव से बाहर जाना पड़ता है या तो शहर छोड़कर। ऐसे में घर वालों को भी बेटी की सुक्षा की चिंता सताती है इसलिए वो बेटी को आगे पढ़ाने से अच्छा उनकी शादी कराना सही समझते हैं। खबर लहरिया ने हमीरपुर के गांव में पांचवी तक स्कूल होने की वजह से लड़कियां आगे पढ़ने में असमर्थ है इस पर रिपोर्टिंग की। इस रिपोर्ट में निकल कर आया कि लड़कियों को पढ़ाई के लिए काफ़ी दूर जाना पड़ता है। इसी वजह से हमीरपुर जिले मौदहा ब्लॉक के सिजनोडा गांव की लड़कियां आगे की शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रही हैं। लड़के 10वीं तक पढ़ाई कर लेते हैं। ज़यादातर गरीब परिवारों के लड़कियां पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। जिनके पास पैसे हैं वो बाहर जाकर आगे की पढ़ाई कर लेते हैं।
हमीरपुर : गाँव में हाई स्कूल न होने से बच्चों के भविष्य में आई बाधा
स्कूल में शौचालय न होना
वाराणसी के चोलापुर ब्लॉक के नियार गाँव के एक विद्यालय में 257 बच्चे हैं लेकिन वे शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पाते है। बच्चों का कहना है कि शौचालय में पानी की सुविधा नहीं है और ना ही वह बैठने लायक है। प्रधानाचार्य का कहना है कि शौचालय तो है लेकिन पाईप टूटी हुई है। यहां के स्कूल के शौचालय नाम के लिए बनवा दिए गए हैं लेकिन यहां गंदगी है और कूड़ा पड़ा हुआ है। यहां बेटियों की सुरक्षा के लिए शौचालय तो बनाए गए लेकिन इनका इस्तेमाल करने लायक बिल्कुल नहीं। आप खबर लहरिया की रिपोर्टिंग में इन शौचालय की हालत देख सकते हैं। शौच करने के लिए बच्चों को स्कूल के बाहर घर जाना पड़ता है। तो ऐसे में वे कैसे ध्यान से पढ़ेंगे?
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‘बेटी बचाओ’ अभियान बेटियों को बचाने में असफल
बलत्कार और छेड़छाड़ के डर से स्कूल जाना छोड़ा
लड़कियों में स्कूल आने-जाने का डर बना रहता है क्योंकि आए दिन बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले सामने आते हैं। ऐसी ही स्थिति यूपी के जिला चित्रकूट, बरगढ़ कोतवाली थाना क्षेत्र की है जहां 26 अक्टूबर 2024 को एक नर्स के साथ सामुहिक बलात्कार किया गया। इस खबर को सुनकर आसपास की लड़कियां स्कूल जाने से डर रही है। जब लड़कियों की सुरक्षा ही नहीं है तो वे कैसे बिना डरे पढ़े और आगे बढ़े।
वाराणसी में स्कूल के बाद से छात्रा लापता
वाराणसी जिले के शिवपुर थाने के अंतर्गत 17 वर्षीय स्कूल छात्रा के लापता होने की खबर सामने आई। परिवार का कहना है कि जबसे उनकी बेटी स्कूल गई थी तभी से वह लापता है। वाराणसी के एक स्कूल में 4 महीने बाद भी कोई सुराग नहीं मिला।
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यौन उत्पीड़न के डर से स्कूल नहीं जातीं बेटियां
प्रयागराज में गांव से 12 किलो मीटर की दूरी पर स्कूल मौजूद है और स्कूल जाने का रास्ता जंगलों से घिरा हुआ है। ऐसे में इस रास्ते पर कई बार लड़कियों के साथ बलात्कार, छेड़खानी इत्यादि के मामले सामने आए हैं। ग्रामीणों को यही डर लगा रहता है कि अगर उनके घर की लड़कियां स्कूल गयीं तो उनके साथ भी ऐसा कोई हादसा हो सकता है। और यही कारण है कि गांव की लड़कियों की पढाई आठवीं के बाद बंद हो जाती हैं।
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लड़कियां आज भी उस दिन का इंतजार कर रही हैं जब वे बिना डरें स्कूल जाए। खबर लहिरया की रिपोर्ट में साल 2017 के जून महीने में छेड़छाड़ की घटना समाने आई जिसमें झांसी की एक लड़की के साथ भरे बाजार में छेड़छाड़ और हत्याका प्रयास किया गया और दूसरी घटना में चित्रकूट जिले के मउ ब्लाक में शिवपूर चौराहे पर छेड़खानी की वारदात सामने आई।
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जर्जर स्कूल में पढ़ने पर बेटियां को लगता है डर
यूपी के चित्रकूट में सरकारी स्कूल में पढ़ रही लड़कियों को हमेशा किसी घटना के होने का डर रहता है। उच्च प्राथमिक विद्यालय में न तो बाउंड्री है और न ही विद्यालय मज़बूत है। छत और दीवार दोनों जर्जर है, इतना की कभी-भी टूट कर गिर जाए। यह हालत चित्रकूट जिले के रामनगर ब्लॉक के गांव कोल्हुवा में आने वाले उच्च प्राथमिक विद्यालय की है।
चित्रकूट: जर्जर स्कूल में पढ़ रहे बच्चे, हमेशा किसी घटना के होने का रहता है डर
ये सभी रिपोर्ट इस बात को दर्शाती है कि आज भी न तो बेटियां सुरक्षित है और न ही बेटियां पढ़ पा रही हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी बेटी पढ़ाओ’ का ये अभियान सुनने में अच्छा लग सकता है, पर आज भी यह अभियान असफल होता दिखाई दे रहा है।
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