बैंगलोर का एक शहर ‘व्हाइटफ़ील्ड’ में जल संकट के कारण सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड इलाके में एक हाउसिंग सोसाइटी ने पीने के पानी के दुरुपयोग पर निवासियों पर 5 हज़ार रुपयों का जुर्माना लगाने का फैसला किया है। वहीं शहर में गंभीर जल संकट के बीच स्थिति पर नजर रखने के लिए एक सुरक्षा गार्ड भी तैनात किया गया है।
बेंगलुरु शहर में लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में बारिश न होने के कारण कावेरी नदी का पानी कम हो गया है। पानी की कमी से न केवल सिंचाई पर असर पड़ा है बल्कि कर्नाटक के कुछ इलाकों में पीने के पानी की भी कमी हो रही है। ऐसे में पहले के मुकाबले पानी के टैंकरों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। इसे देखते हुए कर्नाटक सरकार ने जल संकट से निपटने के लिए निजी पानी के टैंकरों को अपने कब्जे में लेने का फैसला किया है।
द क्विंट की 5 मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार 5 मार्च को आपातकालीन बैठक हुई। बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के स्वामित्व वाले टैंकरों को साफ किया जाएगा। साथ ही शहर में पानी की आपूर्ति के लिए टैंकरों को रखा जाएगा। इसके आलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को कई फैसलों की घोषणा की जिसमें तालुक-स्तरीय नियंत्रण कक्ष, हेल्पलाइन नंबर, स्थानीय विधायकों की अध्यक्षता में आपातकालीन कार्य बल के बारे में निर्णय शामिल थे।
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सूखे का कारण
लाइव मिंट की 6 मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक राज्य के 236 तालुकों में से 223 सूखा प्रभावित हैं जबकि 219 गंभीर रूप से प्रभावित हैं। एक अधिकारी ने बताया कि “सूखे के कारण कावेरी और बोरवेल दोनों से पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई, जो बेंगलुरु के पानी के दो प्रमुख स्रोत हैं। अगर आने वाले दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई तो संकट और बढ़ सकता है क्योंकि पहले ही आधे बोरवेल सूख चुके हैं।”
3000 से अधिक बोरवेल सूखे
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि “मैं इसे बहुत गंभीरता से देख रहा हूं। मैंने सभी अधिकारियों के साथ बैठक की। हम उन बिंदुओं की पहचान कर रहे हैं जहां पानी उपलब्ध है। बेंगलुरु में 3000 से अधिक बोरवेल सूख गए हैं।”
निजी टैंकर स्थिति का उठा रहे हैं फायदा
पानी की समस्या इतने गंभीर रूप से पैदा हो गई है कि लोग परेशान हो चुके हैं। ऐसे में निजी पानी के टैंकर पहले के मुकाबले अधिक पैसे वसूल रहे हैं। निवासियों को अपनी रोज़ाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक टैंकर के लिए 500 रूपये से 2 हज़ार रूपये तक देने पड़ रहे हैं।
इसे देखते हुए उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा कि सरकार “टैंकर माफिया” को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही है। निजी ठेकेदारों को 7 मार्च तक नगर निगम के साथ खुद को पंजीकृत करने के लिए कहा है ताकि सरकार प्रभावी ढंग से पानी उपलब्ध करा सके।
सरकार का प्रयास जारी
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि “राज्य सरकार निजी टैंकरों, बोरवेलों और सिंचाई कुओं की जिम्मेदारी अपने हिस्से में रखेगी। इस जल संकट को सुव्यवस्थित करने के लिए मैं बस इसे संभालने की कोशिश कर रहा हूं। हम देखेंगे कि हर चीज का बराबर हिस्सा हो और यह सुनिश्चित करेंगे कि वे स्थिति का फायदा नहीं उठाएंगे।” उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार एक मानक मूल्य शुरू करने पर विचार करेगी।
पानी के संकट से प्रभावित क्षेत्र
बैंगलोर का एक शहर ‘व्हाइटफ़ील्ड’ में जल संकट के कारण सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड इलाके में एक हाउसिंग सोसाइटी ने पीने के पानी के दुरुपयोग पर निवासियों पर 5 हज़ार रुपयों का जुर्माना लगाने का फैसला किया है। वहीं शहर में गंभीर जल संकट के बीच स्थिति पर नजर रखने के लिए एक सुरक्षा गार्ड भी तैनात किया गया है।
दूसरे इलाके जो पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं, उनमें ‘येलहंक’ और ‘कनकपुरा’ शामिल हैं।
जल संकट का सामना ऐसे कर रहे हैं लोग
भीषण जल संकट की मार पूरा बेंगलुरु झेल रहा है। ऐसे में अधिकारी आपातकालीन कदम उठा रहे हैं। सरकार सभी सिंचाई और वाणिज्यिक बोरवेलों को अपने कब्जे में ले रही है और शहर में प्रत्येक निजी जल टैंकर के पंजीकरण को जरूरी कर रही है। इस दौरान वहां के निवासी अपने कामों के लिए जुगाड़ कर रहे हैं। जैसे कारों और बालकनियों को धोना बंद करना, आधी बाल्टी पानी से करना और “आधा फ्लश” का उपयोग करना, वॉशिंग मशीनों के इकोनॉमी चक्र का उपयोग करना और जो पानी इस्तेमाल हो चुका है उस पानी का उपयोग करने के निर्देश भी ज़ारी किये जा रहे हैं।
कई महीनों पहले से ही जल संकट से जूझ रहा था शहर
एएनआई से बात करते हुए एक निवासी सुरेश ने बताया कि, “6 महीने हो गए हैं। हमें निगम का पानी नहीं मिला है न ही कावेरी जल पाइप कनेक्शन प्रदान किया गया है लेकिन अभी भी पानी का कनेक्शन नहीं दिया गया है। पानी के टैंकरों के लिए दो दिन पहले बुकिंग करानी पड़ती है और पानी पहुंचाने का खर्च 1600 से बढ़कर 2000 हो गया है। इतनी रकम चुकाने के बाद भी पानी समय पर नहीं आता। पानी की बहुत कमी है और लोगों को नहाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। कुछ दिनों में पानी की कमी के कारण लोग नहा नहीं सकेंगे। हम सरकार से पानी की समस्या का समाधान करने और कमी की समस्या का समाधान प्रदान करने का अनुरोध करते हैं।”
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