कर्नाटक के वाणिज्यिक कर विभाग ने यूपीआई लेनदेन डेटा का उपयोग करके 14,000 ऐसे व्यापारियों की पहचान की थी, जिन्होंने जीएसटी पंजीकृत नहीं किया था। इनमें से कई व्यापारियों को वित्त वर्ष 2021-22 तक का कर बकाया था उन्हें नोटिस जारी किया गया था और कुछ पर कई लाख रुपये की माँग की गई थी।
बेंगलुरु की कई छोटी बड़ी दुकानों पर “नो यूपीआई, ओनली कैश का बोर्ड” दिखाई दे रहे हैं। इनसब के पीछे बड़ी वजह है वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान। हाल ही में कर्नाटक के वाणिज्यिक कर विभाग ने यूपीआई लेनदेन डेटा का उपयोग करके 14,000 ऐसे व्यापारियों की पहचान की थी जिन्होंने जीएसटी पंजीकृत नहीं किया था और ऐसे में उनपर लाखों का जीएसटी भरने का दबाव बन गया। इसी डर से दुकादारों में भी डर पैदा हो गया है यदि वे भी किसी से लेनदेन के लिए यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें जीएसटी कर देना होगा।
यूपीआई वाले दौर में जहां दुकानदार, विक्रेता कैश के बदले यूपीआई का इस्तेमाल करते थे आज वही यूपीआई से भागते नज़र आ रहे हैं। कई दुकानदार चाहे वो छोटे हो या बड़े व्यवसाय करने वाले सरकार को टेक्स देने से बचने के लिए जीएसटी नंबर नहीं लेते और लाखों कमा लेते हैं।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण अनिवार्य
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कानून के तहत, अगर किसी व्यवसाय का साल में कारोबार वस्तुओं के लिए 40 लाख और सेवाओं (वकील, एकाउंटेंट) के लिए 20 लाख से ज़्यादा है, तो उसे जीएसटी के लिए पंजीकरण कराना होता है। लेकिन ऐसा कई दुकानदार नहीं करते हैं और टैक्स देने से बच जाते हैं पर वे इस बात को हल्के में लेते हैं कि यदि वो यूपीआई से लेनदेन कर रहे हैं तो उनके खाते में जमा राशि की जाँच होगी तो वे फंस सकते हैं।
कर्नाटक वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा दुकानदारों को नोटिस
रिपोर्टों के अनुसार कर्नाटक के वाणिज्यिक कर विभाग ने यूपीआई लेनदेन डेटा का उपयोग करके 14,000 ऐसे व्यापारियों की पहचान की थी, जिन्होंने जीएसटी पंजीकृत नहीं किया था। इनमें से कई व्यापारियों को वित्त वर्ष 2021-22 तक के कर बकाया था उन्हें नोटिस जारी किया गया था और कुछ पर कई लाख रुपये की माँग की गई थी।
दुकानदारों ने किया यूपीआई का विरोध
इस खबर के बाद बेंगलुरु में कई रेहड़ी-पटरी वालों ने यूपीआई से भुगतान करना शुरू कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि उनके डिजिटल लेन-देन की वजह से आगे की जाँच हो सकती है या उन्हें पहले का ज्यादा कर देना पड़ सकता है।
Bye Bye Cashless India :
UPI ✖️
Cash ✔️Karnataka small vendors are dumping UPI payments and turning back to cash transactions due to GST bills.
In some cases GST bills amounting to lakhs of rupees. pic.twitter.com/vhlwqV6ZGE— HASSAN🔻𝕏 (@HassanSiddiqei) July 22, 2025
कर भुगतान के तरीकों में तेजी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के कर विभाग पर 2025-26 तक 1.2 लाख करोड़ रुपए के राजस्व लक्ष्य को पूरा करने का दबाव है। कल्याणकारी योजनाओं के लिए 52,000 करोड़ रुपए से अधिक आवंटित होने और विधायकों द्वारा बुनियादी ढाँचे के लिए और अधिक की माँग के साथ , सरकार अपने कर दायरे को बढ़ाने के लिए तरीके खोज रही है।
कर्नाटक सरकार की पहल ‘जीएसटी को जानें’
दुकानदारों के यूपीआई का विरोध तेजी से बढ़ रहा है जिसे लेकर कर्नाटक सरकार ने जीएसटी नियमों के बारे में जागरूकता पैदा करने और व्यापारियों के डर को शांत करने के लिए एक व्यापक पहल, ‘जीएसटी को जानें’ अभियान शुरू किया। हाल ही में बेंगलुरु के कोरमंगला में पहली कार्यशाला आयोजित की गई थी।
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