खबर लहरिया Blog बाँदा : खबर लहरिया की रिपोर्टिंग के बाद सचिव द्वारा एक दिन में बनवाये गए हैंडपंप

बाँदा : खबर लहरिया की रिपोर्टिंग के बाद सचिव द्वारा एक दिन में बनवाये गए हैंडपंप

हमारे द्वारा पानी की समस्या की रिपोर्टिंग की खबर जैसे ही गाँव के सचिव को मिली। उनके द्वारा एक दिन में ही गाँव में सारे खराब हैंडपंपों की मरम्मत कराई गयी।

handpump picture by khabar lahariya

ठीक करवाया हुआ हैंडपंप

यूपी के बाँदा जिले के पिपरहरी ग्राम पंचायत के मजरा कछिया पुरवा के लोग कई समय से पानी की समस्या से परेशान थे। जब हमने इस मामले को लेकर रिपोर्टिंग की तो उसके कुछ समय बाद ही गाँव के सचिव योगेश कुमार द्वारा एक दिन में ही गाँव के सारे हैंडपंप सही करवा दिए गए। जब हमारी रिपोर्टर गीता देवी आज दूसरी बार गांव में रिपोर्टिंग के लिए पहुंची तो गाँव वालों द्वारा उन्हें हैंडपम्प बनने की बात बताई गयी।

लोगों ने बताया कि हमारे द्वारा पानी की समस्या की रिपोर्टिंग करने के बाद सचिव 25 मई को गाँव पहुंचे। पूरे दिन हैंडपंप को सही करवाने में लगे रहे और देर रात 12 बजे तक गाँव के सारे खराब हैंडपम्प की मरम्मत कराई गयी। जबकि गाँव वालों द्वारा यह भी कहा गया था कि सुबह मरम्मत का काम हो सकता है। लेकिन सचिव ने कहा कि वह रात तक सारा काम करवा देंगे।

इस बात को लेकर गाँव वालों द्वारा खबर लहरिया का बेहद धन्यवाद किया गया। कहा कि “आपने कुछ ऐसा किया है जिसके चलते हैंडपंप कल पूरी तरह से बन गए हैं। वह कई दिनों से पानी की समस्या से परेशान थे।”

खबर पर की हुई रिपोर्टिंग

शिकायत पत्र

बांदा जिले के नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले पिपरहरी ग्राम पंचायत के मजरा कछिया पुरवा के रहने वाले लोग बहुत समय से पानी की समस्या का सामना कर रहे थे। यहां पर लगभग 500 वोटर है। यहां सबसे ज्यादा दलित लोग रहते हैं। यहां के लोग लगभग 15 दिनों से बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे थे। वे दूसरे गांव से बैलगाड़ी या साइकिल के ज़रिये पानी ला रहे थे। लोगों ने पानी की इस समस्या को लेकर के डीएम के नाम एप्लीकेशन लिखकर व्हाट्सएप ग्रुप में भी डाला था।

एक घर में लग जाता है हज़ार लीटर पानी

गांव के प्रदीप,बाबू और दादू कुशवाहा ने हमें बताया कि उनके मजरा कछिया पुरवे में ज़्यादातर दलित और पिछड़े वर्ग के लोग रहते हैं। यहां जितने भी हैंडपंप हैं सभी खराब पड़े हुए थे। लोगों का कहना था कि पीने से लेकर खाना बनाने, नहाने, कपड़े धोने के लिए हर घर में लगभग हजार लीटर पानी लग जाता था। इसके अलावा जानवर भी हैं जिनको पानी की जरूरत होती है। लेकिन हैंडपंप खराब होने की वजह से सभी पानी के लिए तरस रहे थे।

बिन पानी कैसे हो गुजारा

लोगों ने बताया कि लगभग 15 दिन हो गए। उनके गांव के सभी हैंडपंप खराब पड़े हुए थे और पानी की पाइपलाइन जैसी भी कोई सुविधा नहीं थी। इसलिए वह दूसरे गाँवों से पानी भरकर लाते थे तब जाकर उनके पीने-खाने का गुज़ारा हो पाता था। वह कहते हैं कि गरीबों की सुनवाई ही नहीं होती।

इसके ज़रिये ग्रामीण भरकर लाते हैं पानी

लोगों का यह भी कहना है कि अगर उच्च मानी जाने वाली जाति की जगहों में यह समस्या होती तो शायद विभागीय अधिकारी जल्दी सुनते। लेकिन वह लोग गरीब हैं इसलिए उनके बारे में कोई नहीं सोचता। इस तरह की भीषण गर्मी में लोग पानी के सहारे ही चलते हैं। खाना भले ही ना मिले लेकिन अगर पानी मिलता है तो जीवन है। कहते हैं ना कि “जल ही जीवन है।” लेकिन जिन गाँवों में पानी की समस्या विकराल रूप में है। वह किस तरह से अपना जीवन बिना जल की आपूर्ति के जी रहे हैं। यह वह लोग ही जानते हैं।

सचिव करता है टाल-मटोल : लोगों का आरोप

लोगों ने कई बार सचिव योगेश कुमार को भी खराब हैंडपंप को लेकर शिकायत की थी। लेकिन सचिव द्वारा हर बार आज-कल कहकर बात को टाल दिया जाता था। लोगों का कहना है कि पानी भरकर लाने में काफी समय लग जाता था। जिससे की वह मज़दूरी के लिए भी नहीं जा पाते थे। लोगों की बस यही मांग थी कि जल्द से जल्द से उनकी पानी की समस्या का समाधान किया जाए।

इस मामले को लेकर हमने पहले कई बार गाँव के सचिव से फोन पर बात करने की कोशिश भी की थी। लेकिन हर बार उनका नंबर अमान्य बताता रहा। हालांकि, लोगों ने अपनी तरफ से पानी की समस्या की दरख्वास्त लिखकर व्हाट्सप्प पर जिलाधिकारी के नाम भी डाली थी। इस उम्मीद के साथ कि शायद अधिकारीयों द्वारा उनकी समस्या की ओर ध्यान दिया जाएगा। वैसे फ़िलहाल तो हमारी रिपोर्टिंग के बाद पानी की समस्या को अभी के लिए सुलझा दिया गया है।

लेकिन उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है। यहां गर्मी शुरू होते ही ग्रामीण क्षेत्र हो या फिर शहर, लोग एक-एक बूंद पानी को तरसने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यहां पानी की समस्या आज से नहीं बल्कि दशकों से हैं। कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोग नदी तालाबों का पानी पीते हैं या दूसरे गांव पानी लेने जाते हैं। जबकि गांव में पानी के लिए हैंडपंप लगे हुए हैं। लेकिन जैसे ही गर्मी आती है हैंडपंप काम करना बंद कर देते हैं या फिर खराब हो जाते हैं। उन्हें बनवाने के लिए किसी भी अधिकारी द्वारा कोई सुध नहीं ली जाती।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

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