खबर लहरिया जवानी दीवानी ‘चाहें कर्ज़ा लेना पड़े लेकिन गहनें ज़रूर लेंगे’

‘चाहें कर्ज़ा लेना पड़े लेकिन गहनें ज़रूर लेंगे’

गहनों का फैशन कभी खत्म नहीं होता। अब वो गहनें चाहें पुराने हो या नये। वैसे आज के दौर में पुरानी चीज़ों की लहर फिर से दौड़ पड़ी है। बाँदा जिले के बड़ोखर खुर्द, गांव दुरेडी मजरा काशीपुर की बात करें तो यहां रहने वाली महिलाएं आज भी पुराने समय के ज़ेवरात पहनना पसंद करती हैं। कहती हैं, ज़ेवर उनके रीति-रिवाज़ का हिस्सा है।

ये ही देखें – मुजफ्फरपुर की मशहूर शाही लीची, खाई क्या?

महिलाएं बताती हैं कि अगर शादी के समय गले में सुतिया न पहना जाए तो घर से बारात तक लौट जाती है। वह वट जाति से हैं उनके यहां सभी औरतें पुराने समय के ही गहनें पहनती हैं। जैसे गले में सुतिया, करधनी, बिछुआ, चोकर धनी आदि। चाहें शादी हो या नहीं वह लोग हमेशा यह चीज़ें पहनती हैं। उन्हें अन्य समुदाय का नहीं पता लेकिन हाँ, उनके समुदाय में यह चीज़ें ज़रूर से पहनी जाती हैं।

ये ही देखें – राशन कार्ड सरेंडर: अफवाह या सरकारी नियम? राजनीति रस राय

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें

If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke