खबर लहरिया Blog बांदा: रेप के मामले में 3 साल बाद मिली सज़ा, अर्थदंड के रूप में आया फैसला

बांदा: रेप के मामले में 3 साल बाद मिली सज़ा, अर्थदंड के रूप में आया फैसला

अपराध साबित होने पर भारतीय दंड संहिता 1860 में किसी अपराध के लिए सज़ा के साथ-साथ अर्थदंड या जुर्माने का प्रावधान है। अर्थदंड की राशि किसी कानून की धारा में उल्लेखित राशि द्वारा निर्धारित की जाती है।

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बांदा जिले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में नाबालिग के साथ हुए रेप के मामले में आरोपी को तीन साल बाद सज़ा सुनाई गई। विशेष न्यायाधीश पास्को हेमंत कुमार कुशवाहा ने 16 अक्टूबर 2023 को मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी को 10 साल की सज़ा व 26 हज़ार रूपये अर्थदंड के रूप में देने का फैसला सुनाया। बता दें, मामला 12 सितंबर 2020 का है।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अगर एक साल के अंदर जुर्माने का पैसा नहीं भरा जाता तो आरोपी को एक और साल कारावास में काटने होंगे।

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6 गवाह किये गए पेश

नाबालिग के पक्ष के सरकारी वकील कमल सिंह गौतम ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान छह गवाह पेश किये गए थे। पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों की जांच करने व वकीलों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने आरोपी के खिलाफ फैसला सुनाया।

यह है पूरा मामला

मामले को लेकर विशेष लोक अभियोजक पास्को कमल सिंह गौतम (सरकारी वकील) बताते हैं कि तिंदवारी थाने में रिपोर्ट दर्ज़ की गई थी। 12 सितंबर 2020 की शाम पांच बजे जब नाबालिग (17 वर्ष) शौच के लिए खेतों की तरफ गई थी, उस समय गांव का ही आरोपी दिलशाद (उम्र 27 साल) घात लगाए खेत में बैठा हुआ था। नाबालिग के पहुँचते ही आरोपी ने उसे पीछे से पकड़ लिया और खेतों की तरफ ले जाकर उसके साथ रेप किया।

जब नाबालिग रोते-रोते घर वापस गई तो उसने अपने माता-पिता को घटना के बारे में बताया। इसके बाद माँ-बाप आरोपी दिलशाद के घर उलहाना देने गए। वहां आरोपी व उसके परिवार के द्वारा उनके साथ मारपीट की गई। इतना डर बनाया कि परिवार को उनके अपने घर से निकलने नहीं दिया जिससे वह थाने में तुरंत कार्यवाही के लिए रिपोर्ट दर्ज़ करवा पाते।

16 सितंबर को किसी तरह परिवार थाने पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ करवाई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रिपोर्ट दर्ज़ की। 25 जनवरी 2021 को आरोप पत्र दायर करते हुए आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया।

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क्या है अर्थदंड?

अर्थदंड को लेकर लाइव लॉ द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है, अपराध साबित होने पर भारतीय दंड संहिता 1860 में किसी अपराध के लिए सज़ा के साथ-साथ अर्थदंड या जुर्माने का प्रावधान है। अर्थदंड की राशि किसी कानून की धारा में उल्लेखित राशि द्वारा निर्धारित की जाती है। अगर किसी कानून में अर्थदंड की राशि के बारे में बताया गया है तो फिर अर्थदंड भी उसके अनुसार तय किया जाएगा।

अर्थदंड में कैसे तय होता है जुर्माना?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसी कानून में अपराध के लिए जुर्माने की निश्चित राशि के बारे में नहीं बताया गया है तो इस स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 63 जुर्माने की रकम का उल्लेख करती है।

धारा 63 कहती है कि “जहां कि वह राशि अभिव्यक्त नहीं की गई है, जितनी राशि तक जुर्माना हो सकता है, वहां अपराधी जिस रकम के जुर्माने का दायी है, वह असीमित है किंतु अत्याधिक नहीं होगी।”

इसका मतलब यह हुआ कि जुर्माने की रकम कितनी भी हो सकती है यानी असीमित हो सकती है लेकिन अत्याधिक नहीं। इसका मतलब यह भी है कि अपराधी की आर्थिक स्थिति के अनुसार जुर्माने की राशि अत्याधिक नहीं होगी। अपराधी की आर्थिक स्थिति के अनुसार ही जुर्माना तय होगा। जुर्म बड़ा है या छोटा है उसके आधार पर जुर्माना तय नहीं होगा, बल्कि अपराधी की हैसियत क्या है, उसे देखते हुए जुर्माने की राशि का निर्धारण होता है, जिससे कानून अपराध की रोकथाम में कारगर साबित हो सके लेकिन इसके कारगर व सफल होने पर भी सवालिया निशान है।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गई है। 

 

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