कस्बों और शहरों में 24 घंटे बिजली देने के दावों की पोल खुल गई है। भीषण गर्मी और लोड अधिक होने से आए दिन कहीं ट्रांसफार्मर फुक जाने की दिक्कत आ रही है, तो कहीं खंभों में फॉल्ट से तार टूट रहे हैं।
इस समय बुंदेलखंड में खेती किसानी का काम जोरों पर चल रहा है। धान की रोपाई भी शुरू हो गई है, लेकिन बारिश भी नहीं हो रही है और उमस भरी गर्मी ने किसानों को धूप की लपटों के बीच काम करने को मजबूर कर दिया है। लेकिन इन सभी परेशानियों के बीच बिजली कटौती और लो वोल्टेज भी ग्रामीणों और किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है।
इस बिजली कटौती से किसान और आम जनता दोनों ही परेशान हैं। न किसानों को भरपूर सिंचाई के लिए बिजली, पानी मिल रहा है और न ही गर्मी में बगैर लाइट, पंखे के चैन की नींद आ रही है।
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शहर और कस्बों में 24 घंटे बिजली देने का दावा खोखला
बाँदा के नरैनी कस्बे के राकेश का कहना है कि कस्बों और शहरों में 24 घंटे बिजली देने के दावों की पोल खुल गई है। भीषण गर्मी और लोड अधिक होने से आए दिन कहीं ट्रांसफार्मर फुक जाने की दिक्कत आ रही है, तो कहीं खंभों में फॉल्ट से तार टूट रहे हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में तो 18 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण दिनभर तो फिर भी जैसे-तैसे गर्मी में बिता दे रहे हैं, लेकिन रात होते ही गर्मी की तपन और पंखे, कूलर की असुविधा लोगों को सताने लग जा रही है।
पडमाई गांव की रहने वाली 40 वर्षीय कमला बताती हैं कि उनके गांव में लगभग 5000 की आबादी है। सरकार ने घर-घर मीटर तो लगवा दिए जिसका बिल भी बराबर आ रहा है। लेकिन बिजली की कटौती का कोई समय नहीं रह गया है। शाम को 7 बजते ही बिजली की आंख मिचौली शुरू हो जाती है। इसलिए चैन से सोना तो दूर, महिलाओं को अंधेरे के कारण खाना तक बनाने में मुश्किल हो जाती है।
कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया मच्छरों के कारण वो रात भर धुआँ करते हैं और हाथ वाला पंखा डुलाते हैं तब जाकर किसी तरह रात कटती है।
ग्रामीणों का कहना है कि अत्यंत तेज़ी से बढ़ रहे प्रदूषण और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के चलते अब गर्मी का प्रकोप इतना ज़्यादा बढ़ गया है कि लोग बगैर पंखे और कूलर के रह ही नहीं पाते। लोगों की मानें तो आज से कुछ साल पहले ग्रामीण रात में अपन छतों और आँगन में बगैर पंखे के लेटते थे, तब न ही इतनी गर्मी होती थी और जुलाई के महीने में मौसम सुहाना ही रहता था। लोगों की मानें तो बिजली विभाग के कर्मचारियों से लोगों ने कई बार बिजली कटौती की शिकायत की लेकिन हर बार उनकी तरफ से बस आश्वासन ही मिला है।
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लो वोल्टेज और बिजली कटौती के चलते नहीं हो पा रही सिंचाई
करतल के किसान शिव प्रसाद का कहना है कि बारिश की कमी और बिजली कटौती ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। लो वोल्टेज के कारण नरैनी क्षेत्र के कई गांव के ट्यूबवेल ठप पड़े हुए हैं, जिससे फसल सूख रही है और किसान अपनी फसल बचाने में असफल हो रहे हैं। उनका कहना है कि जिन किसानों ने धान की रोपाई के लिए पौधा तैयार किया था, उन्हें भी पौधा भी सूखने का डर सता रहा है।
इसी के साथ ही करता क्षेत्र के कई गांव के किसान भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि अगर उनको भरपूर बिजली पानी समय पर मिलने लगे तो इस सीज़न शायद कर्ज के बोझ तले दबने की नौबत न आये।
12 बीघे में वही धान की फसल सूखने की सता रही चिंता
बडैछा के कनेक्शन धारक किसान संतोष पटेल ने बताया कि उन्होंने डेढ़ लाख रुपए जमा करके निजी ट्यूबवेल कनेक्शन लिया था। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें 150 से 200 ही वोल्टेज बिजली मिल रही है, जिसके चलते ट्यूबवेल नहीं चल पा रहा है। 12 बीघे में धान की फसल बोई है, जिसके सूखने का खतरा उनके सर पर मंडरा रहा है।
किसानों की मानें तो अगर बिजली की यही स्थिति रही तो धान की रोपाई नहीं हो पाएगी और महंगे दामों पर खरीदे गए बीज उनके लिए नुकसान साबित हो जायेंगे।
नरैनी में सब स्टेशन बनने से खत्म होगी लो वोल्टेज की दिक्कत
अधिशासी अभियंता दीपक सचान ने बताया कि नरैनी में 132 KV का सब स्टेशन बनाया जाएगा। फिलहाल अतर्रा फीडर से नरैनी सब स्टेशन की सप्लाई होती है। इसलिए दूरी अधिक होने के कारण 11000 वोल्टेज नहीं मिल पाता। लेकिन अगले साल तक 132 KV सब स्टेशन नरैनी में बनाया जाएगा। जिसके बाद उम्मीद है कि कम वोल्टेज की समस्या खत्म हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि जगह-जगह ट्रांसफॉर्मर फुकने का कारण बढ़ती गर्मी के चलते लोडिंग की समस्या है। उनका कहना है कि जैसे ही उन्हें इस तरह की दिक्कतों की सूचना मिलती है, विभाग से तुरंत कर्मचारी साइट पर भेज कर काम शुरू कर दिया जाता है।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गई है।
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