बाँदा में ढोलक बनाने का काम कई सदियों से चला आ रहा हैं। यहाँ पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य करती आ रही हैं।
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ढोलक बाराबंकी से बनकर आते है फ़िर इनको बाँदा शहर में मढ़ा जाता है। ढोलक को बनाने के लिए आम, कटहल, शीशम और अन्य प्रकार की लकड़ियों का इस्तेमाल होता है। अच्छी लकड़ियों का भी ढोलक बनाने में इस्तेमाल किया जाता है जैसे सागौन, खमैर, बिजेसार इत्यादि। ज़्यादातर इनकी बिक्री तीज और नवरात्री पर होती है। इन ढोलको को बेचने के लिए यहाँ के लोग फतेहपुर, ठर्रा, और अजयगढ़ जाते है।
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मगर इससे कोई विकास नहीं दिख रहा हैं। लोगो को बेरोज़गारी का आज भी सामना करना पढ़ रहा है। इस शहर में कुल 15 – 20 घर वाले इस कार्य में जुड़े हुए हैं।
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