खबर लहरिया क्राइम बांदा: एक्सीडेंट में गई जान, परिवार को महीनों से मुआवज़े का इंतज़ार। जासूस या जर्नलिस्ट

बांदा: एक्सीडेंट में गई जान, परिवार को महीनों से मुआवज़े का इंतज़ार। जासूस या जर्नलिस्ट

बाँदा: नरैनी कोतवाली के अंतर्गत आने वाले पड़मई गांव में 19 फरवरी को भयंकर एक्सीडेंट हुआ था जिसमें एक चलता हुआ ट्रक नाले में घुस गया था और उस ट्रक की टक्कर से एक लड़के की मौके पर ही मौत हो गई थी और 4 लोग घायल हो गए थे। इतना ही नहीं जो वहां पर खोखा रखा था वह भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और दरवाजे पर बंधी भैंस भी खत्म हो गई थी। उस समय प्रशासन ने मुआवजे को नाम पर बड़े-बड़े वादे किए थे लेकिन अभी तक वो वादे पूरे नहीं हुए हैं और पीड़ित परिवार न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है।

ये भी देखें – अफीम, गांजा के धुंए में उड़ रहा बिहार का भविष्य! जासूस या जर्नलिस्ट

आक्रोशित गांव वालों ने हादसे के दूसरे दिन 20 फरवरी को लाश को सड़क पर रखकर जाम लगा लिया। इसके बाद पुलिस फोर्स, एसडीएम और तहसीलदार मौके पर पहुंचे और वापस से उन्हें मुआवज़ा देने का वादा किया।

उन्होंने 2 बीघे का पट्टा जिस परिवार का लड़का खत्म हुआ था उसको देने के लिए कहा था, लेकिन काफी मशक्कत के बाद सिर्फ एक बीघे का पट्टा मिल पाया है बाकी किसी भी तरह का कोई नुकसान का मुआवजा नहीं दिया गया जिसके चलते पीड़ित परिवार ने अब कोर्ट का सहारा लिया है।

जिस दिन जाम लगाया गया था उस दिन एस.ओ द्वारा ₹8000 पीड़ित परिवार को दिए गए थे लेकिन पेपरों में निकाला गया कि 8 लाख की रकम दी गई है जिसके चलते पीड़ित परिवार के घर में चोरी भी हो गई और चोरी में उसके घर-गृहस्थी का सामान भी चला गया।

ये भी देखें – परिवार का आरोप: खुदखुशी के मामले में पुलिस ने की FIR से छेड़छाड़ l जासूस या जर्नलिस्ट

नरैनी कोतवाली एस.ओ अरविंद सिंह गौर का कहना है कि उस समय जो एसडीएम और तहसीलदार थे वो बदल गए हैं। उस समय क्या वादे हुए थे उसकी जानकारी उन्हें नहीं है लेकिन मुकदमा अज्ञात में लिखा गया था, ट्रक नंबर के साथ धाराएं लगाई गई थी और 7 अप्रैल 2023 को चार्ज शीट लग गई है। अब मामला न्यायालय में चल रहा है, अब जो भी होगा न्यायालय से होगा।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke