खबर लहरिया Blog कीचड़ भरी गांव की सड़कें, पैदल चलना भी दूभर

कीचड़ भरी गांव की सड़कें, पैदल चलना भी दूभर

प्रशासन की अनदेखी के चलते ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। कच्चा रास्ता और उसमें गड्ढा भी हो जाने से लोगों का बाजार जाना या गाँव से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। हालात यह हैं कि अगर इस रस्ते से कोई भारी वाहन निकलता भी है तो सड़क का कीचड़ लोगों के घरों तक पहुँच जाता है।

कीचड़ की वजह से मुश्किल से रास्ता पार करते ग्रामीण

जिला बांदा। कई दिनों से लगातार हो रही बारिश से ग्रामीण क्षेत्र की कच्ची सड़कें कीचड़ से भर गई हैं। नालियां भी सफाई ना होने के कारण बंद हो गई हैं जिससे लोगों के घरों में भी पानी घुसने लगा है। लोगों को घर गिरने का भी डर सताने लगा है। इस समस्या से एक ही गांव के लोग नहीं बांदा जिले के कई गांव के लोग प्रभावित हैं। इस मामले को लेकर के लोगों ने मांग भी की है कि उनके यहां की कच्ची सड़कें बनवाई जायें लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

कीचड़ भारी सड़क से पैदल भी निकलना मुश्किल

महुआ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले मोतियारी गांव में लगभग 500 मीटर की कच्ची सड़क कई सालों से खराब पड़ी हुई है। जिसमें अब बड़े-बड़े गड्ढे भी हो गए हैं इतना ज्यादा कीचड़ है कि साधन तो दूर की बात लोग पैदल भी नहीं निकल पाते। गांव के अंदर से घूम कर दशरथ पुरवा मुगौरा दूली पथरा और तेरा बा तक जाना पड़ता है। गांव के अंदर से जाने में साधनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिससे पैदल चलने वाले लोग तो कई बारी मिट्टी में फिसल कर गिर भी जाते हैं।

गांव के शिवचरण, राजा भैया और रनिया बताते हैं कि उनके यहां की यह मेन सड़क है जो नरैनी से सीधे तेरा पथरा तक जाती है। यह सड़क काफी दिन पहले प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी थी लेकिन उसमें लगभग 500 मीटर छोड़ दिया गया था। जिस ठेकेदार ने उसका ठेका लिया था वह कह रहा था कि इतनी रास्ता उसके ठेके में नहीं है तब से यह रास्ता इसी तरह पड़ी हुई है और धीरे-धीरे अब इस रास्ते में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। जो लोगों के लिए ख़तरे का गड्ढा बन गया है।

ग्रामीण बताते हैं की गड्ढ़े में न गिर जाए इस वजह से वह 500 मीटर की रास्ता से ना निकल कर पूरे गांव का चक्कर लगा कर नरैनी बाजार करने जाते हैं, और उसके लिए समय से पहले भी निकलना पड़ता है। कई बार उन्होंने इस रास्ते को बनवाने की मांग की लेकिन इस रास्ते के लिए कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लोगों ने यह भी बताया कि जहां पर बहुत बड़े गड्ढे थे और बरसात में पानी भर जाता था तो वह अपनी परेशानी दूर करने के लिए थोड़ी बहुत इंटे पत्थर लेकर डाल दिए हैं लेकिन फिर भी यह रास्ता पूरा कीचड़ और गड्ढों से भरा हुआ है। साइकिल की तो बात छोड़ो अगर कोई पैदल गया तो बिना चोट खाये नहीं आ पाता है।

ये भी देखें – लाइव: बारिश के मौसम में बिजली गुल जैसे कई स्टोरी के सवालों के जवाब, एडिटर देगी जवाब में

जान का खतरा बना कच्चा नाला

महुआ ब्लॉक के ही गांव पचोखर के रहने वाले शिव कुमार बताते हैं कि उनके यहां मेन रोड से दलित बस्ती तक का बहुत पुराना नाला है जो बहुत ही ज्यादा गहरा है। नाले के किनारे-किनारे लोगों के घर बने हुए हैं। सूखी रेत में तो कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन बरसात में पूरे गांव का पानी इसी नाले से बहकर निकलता है।

नाला गहरा होने के साथ-साथ कच्चा भी है जिससे बारिश के समय और भी कटान हो जाती है इसलिए लोगों को अपने बच्चों को बहुत ज्यादा देखना पड़ता है कि वह दरवाजे में खेलते-खेलते कहीं नाले में गिर ना जाए और कई बार बच्चे गिर भी गए हैं। कई बार इस नाले को बनवाने के लिए मांग की लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही और ग्राम पंचायत से यह कह दिया जाता है कि इतना बजट नहीं है कि यह नाला बन सके। इसलिए बरसात आते ही ग्रामीण बहुत निराश हो जाते हैं। बरसात में पूरे गांव का गंदा पानी आता है तो मच्छर भी बहुत ज्यादा लगते है जिसके कारण लोगों का दरवाजे में बैठना मुश्किल हो जाता है।

वादे से मुकर गये अधिकारी

लोगों ने बताया कि जब चुनाव का समय होता है तो नेता लोग आते हैं और वोट मांगते हैं और वादे करते हैं लेकिन जीतने के बाद वह मुड़कर नहीं देखते और भूल जाते हैं। ऐसे ही इस बार जब विधानसभा का चुनाव हुआ था तब भी विधायक आए थे और उन्होंने कहा था कि वह इस नाले को बनाएंगे लेकिन 4 साल पूरे हो चुके अभी तक किसी ने सुधि नहीं ली है।

दो दर्जन गावों में घुस गया बरसात का पानी

बबेरू तहसील क्षेत्र अंतर्गत आने वाले विनवट गांव का भी यही हाल है। जहां लगातार तीन दिन से बारिश होने के कारण जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। गांव के किनारे बने लगभग 2 दर्जन घरों में बरसात का पानी घुस गया है जिससे उन घरों मे रहने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में अधिकतर लोगों के कच्चे मकान हैं जिनके ढहने का डर बना हुआ है। स्थिति यह है कि लोग अपना घर छोड़कर पड़ोसियों के घरों में रहने को भी मजबूर हो रहे हैं।

मवेशियों के रहने की जगह भी हुई जलमग्न

विनवट गांव की लक्ष्मी सोनी और नंदू खेंगर कहते हैं कि मवेशियों को बांधने की जगह में पानी भर गया है। यह समस्या बनी हुई है की जानवरों को कहाँ सूखे स्थान पर ले जाया जाये। पानी में खड़े-खड़े जानवर परेशान हो जायेंगे ऊपर से अगर बारिश भी हो गई तो जानवरों में बिमारी भी फ़ैल सकती है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से गुहार लगाया है कि वह इस ध्यान दें और जानिकासी की व्यवस्था कराएँ ताकि जलभराव के कारण भविष्य में होने वाली बीमारियों से बच सके।

ये भी पड़ें- बारिश से महिला किसान खुश, शुरू की खरीफ़ फसलों की बुवाई

4 महीने स्कूल नहीं जा पाते बच्चे

नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गिरधरपुर निवासी संतोष और सुमित्रा का कहना है कि उनके यहां लगभग 1 किलोमीटर कच्ची सड़क कीचड़ के दलदल से भरी है। लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। गिरधरपुर पटेल बाहुल्य क्षेत्र है और यहां चुनाव के समय तो नेता मंत्रियों की वोट मांगने के लिए लाइन लगी रहती है लेकिन जैसे ही उनका काम निकल जाता है कोई देखने के लिए नहीं आता। लोगों का कहना है कि इस रास्ते से निकलने में बच्चे बूढ़े गिर जाते हैं और कई बार तो लोगों के चोटें लग चुकी हैं।

बरसात के 4 महीने बच्चे स्कूल जाने के लिए तरस जाते हैं। किसी तरह गये भी तो रास्ते में गिर जाते हैं कपड़े खराब हो जाते हैं और वापस लौट आते हैं इसलिए बच्चों की शिक्षा पर भी प्रभाव पड़ता है। इस रास्ते की मांग को लेकर जितनी बार भी लोगों ने शिकायत की निराशा ही मिली है। फिलहाल अभी कोरोना ही है लेकिन अगर स्कूल खुला होता तो बहुत दिक्कत हो जाती। गाँव के प्रधान वोट मांगने आए तो कसम भी खा गए थे कि वह रास्ता जरूर बनवा देंगे लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। पूरी पंचवर्षीय बीत गई लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। ऐसी कसमें खाने का क्या फायदा जो पूरा न कर सकें। नये प्रधान ने भी वादा किया है देखो क्या होता है।

सड़क निर्माण के लिए कई स्तर पर की गई है मांग-बीडीओ

मनोज कुमार खंड विकास अधिकारी नरैनी का कहना है कि कई पुरवा की कच्ची सड़क में इस तरह की दिक्कत है लेकिन उनके यहां इतना बजट नहीं आता कि वह उस रास्ते को बनवा सके। उन्होंने इन कच्ची सड़कों के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत जैसे अन्य स्तरों से मांग की है जिसमें ये गाँव भी शामिल हैं। जो भी जवाब आता है उस हिसाब से काम कराएँगे।

ये भी पढ़ें :

ललितपुर: सड़क नहीं नरक, 10 साल से सड़क की दुर्दशा पर गुस्सा हैं ग्रामीण

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।

 

(हैलो दोस्तों! हमारे  Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)