खबर लहरिया जिला बांदा: प्रकृति के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए, अनाथ लड़की की हुई शादी

बांदा: प्रकृति के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए, अनाथ लड़की की हुई शादी

जिला बांदा के ब्लॉक नरैनी के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत खलारी के मास्टर यशवंत पटेल हर साल एक गरीब परिवार की लड़की का विवाह करवाते हैं। उन्होंने इस साल नरैनी ब्लॉक के ग्राम पंचायत नसेनी के मजरा गोरे पुरवा की एक दलित और अनाथ लड़की जिसके माता पिता नहीं हैं, उसकी शादी करवाई है पुरानी रीति रिवाज के हिसाब से।

यशवंत पटेल बताते हैं कि वो अबतक 14 शादियां करवा चुके हैं। वह हर साल किसी ना किसी गरीब लड़की के विवाह के लिए मदद करते हैं इसके पीछे उनका उद्देश्य है प्रकृति को सुरक्षित रखना और पुरानी परंपराओं को जीवित रखना। उनका कहना है कि पहले के जमाने में बैलगाड़ी से बरातें जाया करती थीं और आम के पत्तों से मंडप और दरवाजा सजाया जाया करता था, साथ ही छिवल के दोना पत्तल में खाना खाया जाया करता था, जिससे प्रकृति को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता था। लेकिन आज के बदलते दौर में बहुत कुछ बदल गया है लोग नए फैशन के पीछे भागते हैं जिसके कारण प्रकृति का भी बहुत नुकसान होता है।

लेकिन वह शादी उसी पुरानी परंपरा के हिसाब से सादे ढंग से करवाते हैं और सच में इस तरह की शादियां बहुत अच्छी लगती हैं। जब बाराती फूल के पत्थर में और दोनो में एक साथ खाने के लिए बैठते हैं तो उसकी शोभा ही कुछ और हो जाती है। इतना ही नहीं शादी पूरी होने के बाद वह दुल्हन और दूल्हे से 2 पौधे भी लगवाते हैं जिसके पीछे भी उनका उद्देश है कि पीपल का जो पेड़ होता है वह ऑक्सीजन देने वाला होता है जिससे दोनों वर-वधु ऑक्सीजन ले सकें।

दुल्हन के चाचा का कहना है कि यशवंत के कहने पास उन्होंने शादी के सारे इंतज़ाम पुराने रीति-रिवाज़ों के अनुसार करवाए हैं। उन्होंने बताया कि लड़के वालों ने किसी प्रकार के दहेज़ की भी मांग नहीं की है, इसलिए उन्होंने अपनी हैसियत के हिसाब से अपनी ख़ुशी से अपनी भतीजी को उपहार दिए हैं।

यशवंत पटेल की अनाथ बेटियों की शादी कराने और शादी की रस्मों के दौरान प्रकृति को भी बचाने की यह पहल ज़रूर सराहने के लायक है। लेकिन हम आशा करते हैं कि आगे चलकर समाजसेवी बच्चियों की शादी कराने का नहीं बल्कि उनको शिक्षा दिलाने और अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए सोचेंगे।

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