बांदा: कोरोना से लड़ने के लिए बाँदा स्वास्थ्य विभाग की तैयारी ,बांदा में दो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिलते ही पूरे जिले में दहशत का माहौल है। सब लोग बहुत डरे हुए हैं इस बात को लेकर कि कोरोना महामारी गांव तक में दशतक दे चुकी है। ये भी डर लोगों के मन में है कि यह बीमारी का इलाज बहुत खतरनाक इसलिए है कि 14 दिन तक आईसोलेट होना होता है। अब ऐसे में बीमारी के बारे में सोच सोच के बुरा हाल हो रहा है। इसलिए हम अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए आप तक इस जानकारी को पहुंचा कर इस दहशत से निकालना चाहते हैं। इसलिए हमने राजकीय ऐलोपैथिक मेडिकल कॉलेज के उस डॉक्टर का इंटरव्यू किए जो पॉजिटिव मरीज का इलाज बहुत करीब से करते आ रहे हैं। साथ ही प्राचार्य का इंटरव्यू भी करके हमने स्पष्ट किया कि अब तक में बांदा में कितने लोगों का कोरोना बीमारी की जांच हुई और कितने पॉजिटिव और कितने निगेटिव हैं। और इलाज़ किस तरह से होता है। इस बीमारी को लेकर कॉलेज के अंदर क्या व्यवस्था है। प्राचार्य प्रोफेसर डॉ मुकेश यादव ने बताया कि सबसे ज्यादा जरूरी हैं सावधानियां। जो इस समय बताई जा रही हैं। आइसोलेशन और क्वारेन्टीन दो तरह के वार्ड है। आइसोलेशन में पॉजिटिव और क्वारेन्टीन में जिनकी जाँच की जाती है उनको रखा जाता है। अगर कोई गम्भीर मामला आता है तो इसके लिए आईसीयू की भी व्यवस्था है, हालांकि अभी तक ये नौमत नहीं आई। जांच सैम्पल लखनऊ भेजे जाते हैं विभाग की तरफ से वाहन की व्यवस्था के साथ और जांच रिपोर्ट 24 घंटे में आ जाती है। जो मरीज पॉजिटिव हैं उनको 14 दिन के लिए आइसोलेट किया गया है और जो निगेटिव हैं उनको छोड़ दिया जाता है। अब तक में लगभग पचास लोगों की जांच हो चुकी हैं जिसमें दोनों पॉजिटिव आये व्यक्तियों के परिवार और रिश्तेदार हैं। बाक़ी बांदा की स्थिति बहुत अच्छी है। अब तक कोई भी मरीज में ये लक्षण नहीं पाए गए। इलाज करने वाले डॉक्टर करन राजपूत बताते हैं कि उन्होंने लगातार इलाज़ किया है कोरोना पीड़ित मरीजो का और आगे भी करते रहेंगे। लगातार मरीजों के संपर्क में आते हैं पर डर किसी बात का नहीं है। बस थोड़ा सावधानी बरतते हैं। हाथ धोना, मास्क लगाना, सेनेटाइज करना, शोसल डिफेन्स बनाये रखना। अब तक में जो आंशिक रूप खांसी बुखार जुकाम से ग्रसित थे उनका इलाज कर चुके हैं। खबर लहरिया परिवार बाँदा स्वास्थ्य विभाग के ऐसे डॉक्टर और उनके हौसले को सलाम करते हैं।