मशहूर और ऐतिहासिक कालिंजर किले में लगी आग। आस-पास के जंगल हुए राख।
21 मार्च के दिन बाँदा जिले के मशहूर और ऐतिहासिक कालिंजर किले के अजय दुर्ग में आग लग गयी। आग ऊपरी हिस्से में बुड्ढी बुड्ढा के पास लगी थी। आग इतनी भयानक थी कि अनुमान के अनुसार उसमें जंगल के सैंकड़ों पेड़ और कीमती लकड़ियां जलकर ख़ाक हो गयीं।
दोपहर में लगी आग हो गयी भीषण
मौजूदा लोगों के अनुसार किले में आग दोपहर में लगी थी। किले में ड्यूटी पर कार्यरत तीन गार्ड्स ने ज़खीरा महल के पास धुंआ उठता देखा। जिसके तुरंत बाद अधिकारीयों को घटना की सूचना दे दी गयी। कालिंजर दुर्ग में तैनात पुरातत्व विभाग के सर्कल अफसर सत्येंद्र कुमार ने वन विभाग व राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी आग लगने की जानकारी दी। जब तक अधिकारीयों तक घटना की बात पहुंचाई गयी। इतने में आग ने ज़खीरा महल और बुड्ढा बुड्ढी तालाब का पूरा क्षेत्र अपनी चपेट में ले लिया था। आग बुझाने के लिए अग्निशमन की गाड़ियां भी मौके पर पहुंची। पर आग इतनी ज़्यादा विकराल रूप में थी कि उन्हें आग बुझाने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी।
पहले भी कई बार लगी है आग
कालिंजर किले में रहने वाले अरविन्द कुमार सिरोलिया और बंसू सोनकर से बात की गयी। जिनके अनुसार पहले भी किले में कई बार आग लग चुकी है। लेकिन आज तक आग लगने की असली वजह का पता नहीं चला। हर साल ऐसे ही ना जाने कितने पेड़ जल जाते हैं। उनके अनुसार, जंगल को बचाने की कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है। ताकि जंगल और उसकी सुंदरता को बचाया जा सके।
हर साल लगती आग, कई सवाल खड़े करती है। अगर हर साल आग लगना आम है तो इसकी असली वजह का अब तक पता क्यों नहीं लगाया गया? साथ ही अगर ऐसा ही होता रहा तो जंगल और उसमें मौजूदा वनस्पति को कैसे बचाया जाएगा? ऐतिहासिक धरोहर को होते नुकसान की भरपाई किस प्रकार की जाएगी?
इस खबर को खबर लहरिया के लिए गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।