खबर लहरिया चुनाव विशेष बाँदा: आज भी मरीज को कंधें पर टांगकर ले जाते हैं अस्पताल | UP Polls 2022

बाँदा: आज भी मरीज को कंधें पर टांगकर ले जाते हैं अस्पताल | UP Polls 2022

जिला बांदा। उत्तर प्रदेश में चुनावी हलचल जोरों पर है। ग्रामीण स्तर पर देखा जाए तो लोग अपने मुद्दों को लेकर के आंख गड़ाए बैठे हैं कि कब राजनैतिक लोग उनके यहां वोट के लिए और वह अपनी मांग रखें लेकिन जहां एक तरफ वह इस उम्मीद के साथ बैठे हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके पिछले वादे पूरे भी नहीं हुए हैं। उनके हिसाब से इस कवरेज के लिए मैं भी पहुंची नरैनी ब्लॉक के कुलसारी गांव जो जंगल और पहाड़ों के बीच बसा हुआ है।

इसे पिछड़ा इलाका भी कहा जाता है, यहां पर मेन रोड से गांव के अंदर तक जाने के लिए पहाड़ी के बगल से कच्चा रास्ता होने के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं उपलब्ध पाती। ना वहां तक साधन जा पाता जिससे कई बार तो बीमार लोग परेशान हो जाते हैं। कई बार रास्ते में महिलाएं बच्चों को जन्म दे देती हैं। इस सड़क की मांग और भी कई मुद्दों की मांग को लेकर के पिछले विधानसभा चुनाव में वहां के लोगों ने चुनाव बहिष्कार किया था लेकिन सड़क का मुद्दा अभी तक ज्यों का त्यों तरह है।

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ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर अभी भी वही मुद्दे हैं कुछ को छोड़ कर के। जब भी कोई प्रत्याशी आएगा वह पहले मुद्दे रखेंगे। लोगों ने बताया कि वोटों के समय लोग हाथ पैर जोड़ते हैं कसमें खाते हैं कि यह काम करवाएंगे वह काम करवाएंगे लेकिन जीतने के बाद 5 साल कोई इधर नजर उठा कर नहीं देखता कि आखिरकार यह गांव बसा कहां है। उनके यहां रास्ता ना होने से बहुत ज्यादा समस्याएं होती हैं। फिलहाल अब गांव में लोगों के पास मोटरसाइकिल हैं। जब कोई बीमार हो जाता है तो लोग मोटर साइकिल से रोड तक ले जाते हैं तब जाकर एंबुलेंस वहां आती है या फिर अपने ही साधन से लोग अस्पताल पहुंचाते हैं। अगर उनके यहां रोड बन गई तो स्वास्थ्य सुविधा में कुछ आसानी होगी क्योंकि दरवाजे तक साधन पहुंच जाएगा। खासकर रात-बिरात बहुत ज्यादा दिक्कत होती है क्योंकि उनके गांव में खुद के किसी के पास साधन भी नहीं है सिर्फ मोटरसाइकिल के अलावा तो छतैनी से उनको ऑटो मंगवानी पड़ती है।

वह भी जब गांव तक नहीं पहुंचेगी तो फिर और ज्यादा समस्या होगी। फिलहाल लोगों ने कहा कि अभी तक कोई प्रचार के लिए नहीं आया लेकिन जब आएगा तो वह मांग जरूर रखेंगे। कुछ लोगों ने बताया कि मतदान के कुछ दिन पहले गांव में सब लोग एक साथ बैठकर संगठन बनाते हैं। जिसमें तय होगा कि हमारी क्या मांगे हैं और किस को वोट देंगे। जब हमारी मांगे पूरी करने का वादा करेंगे और जो संगठन में तय होगा उसी हिसाब से हमारे यहां मतदान होगा। लोगों ने यह भी बताया कि उनके गांव में भी कोई अस्पताल या प्राइवेट डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध नहीं है जिससे वह वहीं अपना कुछ इलाज करवा सके इसलिए स्वास्थ्य सुविधा के लिए यहां पर बहुत ज़्यादा दिक्कतें होती हैं।

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