खबर लहरिया खेती बांदा: बाढ़ से बर्बाद हुई फसल के मुआवज़े के लिए और कितना इंतज़ार करें किसान?

बांदा: बाढ़ से बर्बाद हुई फसल के मुआवज़े के लिए और कितना इंतज़ार करें किसान?

बांदा जिले के अंतर्गत आने वाले पैलानी तहसील के लगभग दो दर्जन गांव अगस्त के महीने में यमुना नदी में उफान आने से बाढ़ से तबाह हो गए थे। ग्रामीणों के घर गृहस्थी के साथ-साथ फसलें भी चौपट हो गई थी। जिस पर हमने कवरेज भी किया था, हमारी कवरेज के बाद उन बाढ़ क्षेत्र में डूबे गांव की फसल का सर्वे हुआ लेकिन अभी तक किसानों को मुआवज़ा नहीं मिला है।

बहुत से किसानों ने बताया कि गांव में सर्वे हो गया है और लेखपाल द्वारा कहा गया है कि मुआवजा जब शासन स्तर से आएगा तब मिलेगा,तो कई किसानों ने यह भी बताया कि अभी उनके क्षेत्र का सर्वे हुआ भी है या नहीं, उनको पता तक नहीं है। किसानों ने बताया कि उनकी बाढ़ में तीली, मूंग, उड़द, ज्वार जैसी फसल पूरी तरह से सड़ गई और चौपट हो गई है। उस फसल की बुवाई जुदाई में और बीच में लोगों ने खेती के हिसाब से ₹10000 से 20000 हजार रुपये तक खर्च किए हैं। खेती के आधार पर और अब दूसरी बुवाई का समय आ गया है जो रवि की फसल है उनके पास पैसे नहीं है कि अगर खरीफ की फसल कुछ आ गई होती तो उसमें पैसे जुटा पाते इसलिए वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द मुआवजा मिल जाए ताकि आने वाली रवि की फसल की बुवाई जुताई के लिए उनको कुछ मदद हो जाए।

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किसानों ने बताया कि बाढ़ खत्म होने के एक हफ्ते बाद सर्वे शुरू हो गया था और उनके हिसाब से सर्वे खत्म भी हो गया है, लेकिन मुआवजे का अभी तक कोई अता-पता नहीं है जबकि नियम के अनुसार सर्वे होने के बाद जल्द से जल्द मुआवजा मिल जाना चाहिए।

पैलानी एस डी एम महेंद्र प्रताप का कहना है कि लगभग हर गाँव का सर्वे हो गया है थोड़ा बहुत बाकी है जो हफ्ते भर में पूरा हो जाएगा। और इसके बाद शासन से पैसा लोगों के खातों में आएगा, आंकड़े अभी वह पूरी तरह नहीं बता सकते क्योंकि आंकड़ा उनको भी नहीं पता है।

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