बांदा ज़िले के महुआ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गिरवाँ गाँव में लगभग 25 घर हैं, लेकिन इस गाँव के ऊपर मौजूद हैं पहाड़, जहाँ बहुत तेज़ी से खनन की प्रक्रिया चल रही है। पिछले कुछ महीनों से यहाँ ब्लास्टिंग और खनन का काम शुरू हुआ और तब से गाँव में रह रहे लोग समस्या में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि क्यूंकि वो लोग भी पट्टे की ज़मीनों में रह रहे हैं इसलिए इस बात की शिकायत किसी से नहीं कर सकते। लोगों का आरोप है कि पहाड़ों में चल रहे खनन में आये दिन हादसे भी होते रहते हैं और लोगों की मौत की खबरें सामने आती हैं। ब्लास्टिंग के कारण पत्थरों के टुकड़े घरों में घुंस जाते हैं और लोगों को कई बार इन पत्थरों से चोटें भी लगी हैं।
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इस खनन से लोगों की ज़िंदगियाँ तो दांव पर लगी ही हैं, बल्कि प्रकृति को भी भारी नुकसान पहुँच रहा है। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डेम्स, रिवर्स एंड पीपल की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2019 से नवंबर 2020 के बीच अवैध खनन की घटनाओं और दुर्घटनाओं में कुल 193 लोग मारे गए थे। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 से 2017 तक अवैध खनन के कुल 4.16 लाख मामले रिपोर्ट किये गए थे। जिसमें सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और कर्नाटका में पाए गए थे।
जिला खनिज अधिकारी सौरभ गुप्ता ने बताया कि इस मामले को लेकर जांच चल रही है और एक कमेटी का गठन किया गया है। कुछ ही दिनों के अंदर कमेटी रिपोर्ट तैयार करेगी और पहाड़ पर हो रहे खनन बंद कराने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
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