वैसे तो मध्य प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए देशभर में मशहूर है, लेकिन हाल ही में एमपी का बकस्वाहा जंगल काफी सुर्ख़ियों में बना हुआ है। मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में मौजूद बकस्वाहा जंगल लगभग 4 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है। लेकिन इस घने और खूबसूरत जंगल के ऊपर अब संकट बादल मंडरा रहे हैं।
20 साल पहले यानी सन 2000 हज़ार से मध्य प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों में हीरा खोजने के लिए सर्वे करवाना शुरू किया था और एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ने बक्स्वाहा के पहाड़ी इलाके में किंबरलाइट हीरा ढूँढा था, जिसके बाद से सरकार ने इस जंगल को नष्ट करके यहाँ खनन शुरू बार कोशिश करी लेकिन समाज सेवकों और पर्यावरण प्रेमियों ने मुहिम चलाकर उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। आखिरकार साल 2019 में एम पी सरकार ने इस जंगल को नष्ट करके यहाँ पर खनन कर हीरा निकलने का प्रोजेक्ट आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को दे दिया, जिसके बाद से इस जंगल में मौजूद लाखों पेड़ और हज़ारों जीव-जंतु अब खतरे में हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो इस हीरा प्रोजेक्ट के लिए बक्सवाहा जंगल में 2 लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की उम्मीद है, जिससे न ही सिर्फ हम प्रकृति के विनाश की ओर एक और कदम बढ़ा देंगे बल्कि हज़ारों गरीब परिवारों का रोज़गार भी खतरे में आ जाएगा।
छतरपुर ज़िले के गाँव कसेरा के कुछ लोगों का कहना है कि अगर यहाँ पर माइनिंग का काम शुरू हो गया तो उन्हें जंगल के पेड़ों से जो रोज़गार मिलता है वो बंद हो जाएगा, ऐसे में ज़रूरी है कि अगर सरकार इन पेड़ों को नष्ट करेगी तो उन्हें रोज़गार दिलवाए। गाँव में कई लोग तेंदू के पत्ते, महुआ आदि को बेचकर अपना घर चलाते हैं, अगर इन पेड़ों को काट दिया गया तो सबसे पहले ये हज़ारों गरीब परिवार खतरे में आएँगे। हाल ही में मध्य प्रदेश के खनिज संसाधन एवं श्रम मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह भी बकस्वाहा जंगल का दौरा करने आए थे। जब उनसे एक साथ इतने पेड़ों को नष्ट करने की बात कही गई तो उन्होंने बताया कि इन पेड़ों के बदले प्रदेश में और हज़ारों पेड़ लगाए जाएंगे। साथ ही ग्रामीणों को रोज़गार भी दिया जाएगा। मंत्रियों और अधिकारियों की बात से यह तो साफ़ है कि आने वाले समय में इस खूबसूरत जंगल को बंजर ज़मीन में तब्दील कर दिया जाएगा, लेकिन देखना तो यह होगा कि हीरे की इस खोज में कहीं हम और भी बहुत कुछ हाँथ से गवां न बैठें।
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