जिला चित्रकूट के ब्लॉक मऊ के गांव कोलमजरा में पंचायत चुनाव में क़रीब 350 बहेलिया समुदाय के परिवार वोट डालने आए थे। लेकिन लॉकडाउन लगने के कारण वो वापस नहीं जा पा रहे हैं। इनमें से क़रीब दस परिवार ऐसे हैं जिनके नाम राशन कार्ड से भी कट चुके हैं। ऐसे में इन लोगों को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ना ही इनके पास कोई रोज़गार का ज़रिया है और ना ही घर मकान है।
यह लोग दूसरे शहरों में जड़ीबूटियाँ बेच कर अपना गुज़ारा करते थे लेकिन लॉकडाउन लगने से इनकी परेशनियाँ बढ़ गई हैं। पिछले साल जब लॉकडाउन लगा था तब इन लोगों ने गेहूँ की फसल काट कर थोड़ा बहुत घर खर्च निकाल लिया था लेकिन इस साल वो काम भी अबतक बंद हो चुका है। एक राशन ही इन लोगों का सहारा था लेकिन वो भी मिलना बंद हो गया है। कुछ परिवारों को अभी राशन मिल रहा है लेकिन वो भी आधा जो दस-पंद्रह दिन में ही खतम हो जाता है।
इन लोगों ने कई बार कोटेदार से इस बात की शिकायत करी लेकिन कोटेदार ने इन्हें कर्वी जाकर राशन कार्ड बनवाने को बोला। इन लोगों का कहना है कि इनके पास घर खर्च के पैसे नहीं हैं ये कैसे किराया भाड़ा लगाकर कर्वी जाएँ। गाँव के कुछ लोगों को नए चयनित प्रधान से थोड़ी बहुत उम्मीदें है कि शायद वो अब इन लोगों की कुछ मदद करें लेकिन तब तक यह लोग एक-एक रोटी के लिए मोहताज हो गये हैं। कोलमजरा गाँव के कोटेदार बुद्धि लाल का कहना है की ये लोग बाहर चले जाते है इस कारण इनका नाम कट जाता है लेकिन अब वो दोबारा अगर जुड़वाते भी हैं तो इनके चले जाने के बाद नाम फिर कट जाएगा।
उन्होंने बताया कि मय जून में मुफ़्त राशन वितरण का नियम तो लागू हुआ है लेकिन अब तक राशन कोटों तक नहीं पहुँचा है। ऐसे में वो मुफ़्त राशन अभी नहीं बाँट सकते हैं। सरकार द्वारा चलायी जा रही मुफ्त राशन और गरीबी भत्ता जैसी योजनाओं के बावजूद भी ये लोग एक-एक रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों इन योजनाओं का लाभ ज़रूरतमंद गरीब नहीं उठा पा रहे?
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