खबर लहरिया Blog सोशल मीडिया से बदली “बाबा का ढाबा की” किस्मत

सोशल मीडिया से बदली “बाबा का ढाबा की” किस्मत

कहते हैं किस्मत बदलते देर नहीं लगती पल भर में राजा से रंक (भिखारी) और भिखारी से राजा बना देती है।
और जहाँ बात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की हो वहाँ तो घंटों का काम मिनटों 0में हो जाता है। ऐसा ही एक वायरल मामला सामने आया है जहाँ इस सोशल मीडिया की मदद से एक बुजुर्ग की आंखों से बरसते आंसू अब खुशियों में बदल गये हैं। दिल्ली के मालवीय नगर में एक बुजुर्ग परिवार को नया जीवन मिला है जहाँ पर कल तक “बाबा का ढाबा” नाम कोई नहीं जानता था वहां आज लोगों की लम्बी लाइन लगी हुई है।

वायरल विडियो ने बदली बुजुर्ग की किस्मत

बताया जा रहा है कि यू-ट्यूबर गौरव वासन ने चैनल ‘स्वाद ऑफिशियल’ पर 6 अक्टूबर को यह वीडियो डाला था, जहां से यह तेजी से वायरल हो गया। बुजुर्ग कांता प्रसाद और उनकी पत्नी बादामी देवी की बदहाली का वीडियो बनाकर 7 अक्टूबर बुधवार को फेसबुक, ट्विटर व इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया। जिनमे कांता प्रसाद के आंखो से बहते आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, बस क्या था देखते ही देखते उनकी पीड़ा देश-दुनिया तक पहुंच गई। दूसरे सिन हैशटैग बाबा का ढाबा ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। वीडियो में बुजुर्ग रोते हुए कह रहे हैं कि उनके ढाबे पर कोई ग्राहक नहीं आ रहा है।

बच्चों की मदद नहीं मिली तो खोल लिया ढाबा

कांता प्रसाद और बादामी देवी 1990 से ही मालवीय नगर में अपनी छोटी सी दुकान लगा रहे हैं।  उनका कहना है की उनके दो बेटे और एक बेटी है।लेकिन तीनों में से कोई उनकी मदद नहीं करता है। वो सारा काम खुद ही करते हैं और ढाबा भी अकेले ही चलाते हैं। लॉकडाउन के पहले लोग यहां खाना खाने आया करते थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद उनकी दुकान पर कोई नहीं आता है।

मदद के लिए आगे आया बॉलीवुड।

एक्ट्रेस रवीना टंडन ने वीडियो शेयर करके लिखा- ”जो भी कोई भी यहां खाता है, अपनी तस्वीर मुझे भेजे। मैं आपकी तस्वीर के साथ एक प्यारा मैसेज दूंगी। रवीना ने दिल्ली वालों दिल दिखाओ हैशटैग भी लिखा।’

सुनील शेट्टी ने लिखा- आइए, इनकी मुस्कुराहट लौटाने में मदद करें। हमारे आस-पास से वेंडरों को हमारी मदद की ज़रूरत है।

ढाई लाख से ज्यादा की मिली मदद

सोशल मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार करीब ढाई लाख रुपये की मदद बाबा को मिल चुकी है। तमाम लोगों ने खाना खाने के बाद उन्हें एकमुश्त एक सप्ताह का व एक माह का एडवांस भुगतान कर दिया।
भूखे भटक रहे लोगों का क्या? क्या उन्हें भी मिलेगी कोई सहायता
चलो भाई! कांता प्रसाद की किस्मत तो बदल गई लेकिन आज भी सड़को के किनारे ऐसे अनगिनत ढ़ाबे होंगे  जिनको मदद की जरूरत होगी। या ऐसे भूखे लोग हैं जो भोजन के लिए तड़प रहे हैं सरकार को चाहिए की ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनकी मदद करे जिससे कांता प्रसाद की तरह किसी गरीब की आँखों में आंसू न आये।