खबर लहरिया खेती बुंदेलखंड: आयुर्वेदिक खेती ने किसानों को दिखाई सफलता की एक नयी सुबह

बुंदेलखंड: आयुर्वेदिक खेती ने किसानों को दिखाई सफलता की एक नयी सुबह

जहाँ पर बुंदेलखंड को पूरे देश में सूखा छेत्र और पिछड़े वर्ग के छेत्र के नाम से माना जाता है, वहीं दूसरी ओर यहां के किसान इन समस्याओं को चुनौती देकर आगे बढ़ रहे हैं। महोबा और हमीरपुर ज़िले में किसान अब अनाज की खेती छोड़ आयुर्वेदिक खेती की तरफ मुंह मोड़ रहा है और अपनी आय बढ़ाकर एक खुशहाल जीवन जी रहा है।

जब हमने इस बारे में एक किसान परिवार से बातचीत की तो वो किसान खुशी से फूला नहीं समा रहा था। उस किसान का कहना था कि वह पहले हर किसान की तरह अनाज की खेती किया करते थे और एक सम्मान जीवन जीते थे, लेकिन 2003-04 में जब उनकी मुलाकात ऑर्गेनिक इंडिया नाम की एक कंपनी से हुई और उन्होंने उनको तुलसी की खेती के बारे में बताया तो पहले तो वो थोड़ा डरे लेकिन उन्होंने हिम्मत जुटाई और तुलसी की खेती कुछ जमीन में करना शुरू कर दी।

उस समय उनके गांव को कोई नहीं जानता था कि यह आखिरकार महोबा जिले का दादरी गांव है कहां ? लेकिन जब उन्होंने यह खेती करना शुरू किया और धीरे-धीरे इसी के साथ और भी आयुर्वेदिक खेती शुरू तो उनकी आए दिन पर दिन बढ़ती गई क्यूंकि यह आयुर्वेदिक चीजें बहुत महंगी बिकती थी। थोड़े ह दिन में फिर उनको देख के उनके गांव के लगभग 25 किसानों ने यह खेती शुरू की और सब के सब सफल भी हुए। उनका कहना है कि अपनी आय को इतना बढ़ाया उन्होंने कि आज उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ लिख कर नौकरियों में चले गए और उनके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है।

उनका कहना है कि गांव के अलावा भी महोबा जिले में बहुत से किसान हैं जो उनकी तरह की खेती अब करने लगे हैं और वह अन्य किसानों को भी प्रेरणा देते हैं क्योंकि इस औषधि भरी खेती में लागत कम है और आए ज्यादा। मेहनत भी कम होती है इस खेती में। दूसरी बात उन्होंने बताई कि इस खेती में 12 महीने काम चलता है इसलिए उनकी आए तो होती ही है साथ ही गांव में वास करने वाले मजदूरों को भी हर महीने बराबर काम मिलता रहता है जिससे उनके यहां का पलायन भी बंद है और मजदूर भी खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

वह चाहते हैं कि जिस तरह से उन्होंने अपने गांव को इस खेती के ज़रिये विकसित किया है और यहां का पलायन बंद हुआ है इसी तरह और किसान भी आगे आएं और अपनी आय को बढ़ाएं जिससे बुंदेलखंड जो सूखे और पिछड़े के नाम से जाना जाता है यह एक अच्छे नाम से भी जाना जाने लगे। उन्होंने यह भी बताया कि पहले तो उन्होंने उस कंपनी के जरिए इस काम को शुरू किया था और जब शुरुआत की थी तो कंपनी ने आकर उन्हें सारी विधियां बताई थी और उनके साथ रहकर खेती करवाई थी लेकिन अब तो कृषि उद्यान विभाग द्वारा भी इस तरह की खेती को आगे बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और अनुदान भी दिया जा रहा है,

जिससे किसान और भी आगे बढ़ रहा है और हर महीने विभाग उनके साथ मीटिंग में भी करते हैं ट्रेनिंग प्रशिक्षण भी करवाते हैं जिससे किसान इस खेती के बारे में अच्छे से समझ सके।