सरकार जहां 1 से 7 सितंबर तक पोषण सप्ताह मनाती है। जिला अयोध्या में एक ऐसा गांव है जहां पर एसटी जाति के लोग रहते हैं। इन लोगों के पास ना ठीक से घर है ना ही इनको राशन मिलता है। 67 लोग ऐसे हैं जिनका तो राशन कार्ड नहीं बना है।
इन लोगों को कहना है कि कई बार हमने ऑनलाइन करवाया और कोटेदार को दिया फिर भी हमारा राशन कार्ड नहीं बना। कई ऐसे लोग भी हैं जिनके परिवार के अधिकांश लोगों का नाम राशन कार्ड से कट गया है। इन लोगों का भी कहना है कि कई बार प्रधान के पास जाते हैं बोलते हैं हो जाएगा आप ऑनलाइन करा कर हमें दो, हमारे देने के बाद भी हमारे परिवार के सदस्यों का नाम उसमें नहीं जुड़ा।
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हम लोग थक चुके हैं राशन वितरण प्रणाली के नियम पूछे जाने पर क्या क्या मिलता है उनका कहना था कि गेहूं चावल के अलावा कभी-कभी चीनी मिल जाता है। इन लोगों का कहना है कि हमारे पास खेत नहीं है लोकडाउन के दौरान हमारे पति लोगों का काम भी छूट गया। जिससे घर चलाने में बहुत दिक्कत होती है राशन नहीं मिलता है तो कभी-कभी ऐसा होता है कि हम लोग बिना खाए ही भूखे पेट सो जाते हैं । हम लोगों का अंतोदय कार्ड बनना चाहिए लेकिन अंतोदय नहीं बना तो कम से कम पात्र गृहस्थी कार्ड बनना चाहिए लेकिन वो भी नहीं बना है।
ग्राम पंचायत जाना बाजार के कोटेदार प्रिंस सिंह का कहना है कि हां पिछले दो-तीन महीनों से ऑनलाइन फीडिंग में दिक्कत हो रही थी लेकिन अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। हमने कोरियर भारी गांव के लोगों से कह दिया है कि सब लोग अपना अपना ऑनलाइन करवा कर फॉम लाकर मेरे पास जमा कर दें। जिनके परिवार का नाम कट गया है या जिनका अब नहीं बना है तो अब मैं ले जाकर उन लोगों का जमा करा दूंगा और राशन कार्ड जो पात्र हैं उनको मिलेगा ही।
राशन वितरण प्रणाली नियम पर उनका कहना था कि एक यूनिट पर 5 किलो गेहूं या चावल और महीने 8 महीने में चीनी भी आता है तो देता हूं लेकिन बराबर नहीं आता तो नहीं दे पाता हूं । यह पात्र दृष्टि का है और अंतोदय कार्ड में 35 किलो मिलता है वह परिवार से नहीं मतलब कितने सदस्य हैं लेकिन अंतोदय कार्ड बना दो एक अंतोदय कार्ड के पीछे 35 किलो राशन देता हूं।
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