अयोध्या : तारुन ब्लॉक के गाँव थरिया कला की महिलायें ढांके के पत्तल बनाकर अपने परिवारों का भरण-पोषण करती हैं। यह महिलायें जंगल से पत्ते तोड़कर लाती हैं और फिर उन पत्तों से पत्तल बनाती हैं। यह पत्तल महिलाएं घर-घर जाकर बेचती हैं जिससे उनका घर खर्च चलता है।
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गुलाबो देवी कहती हैं, उनके गाँव तक सरकार की कोई भी योजना नहीं आती। पत्तल बनाने के काम के अलावा उनके पास न और कोई काम है और न ही कोई चारा है। वह हैदरगंज, जाना, चौरा बाज़ार आदि जगहों से धागे के पत्तल लेकर आती हैं क्योंकि उनके यहां यह पत्तल नहीं मिलता। इसमें उनका एक दिन चला जाता है। सुबह निकलते हैं और शाम को वह पत्तल लेकर घर वापस आती हैं। फिर दूसरे व तीसरे दिन वह पत्तल बनाती हैं और चौथे दिन इसे फैज़ाबाद जाकर बेचती हैं। 100 पत्तल के उन्हें 50 रूपये तक मिलते हैं। इसी वजह से उन्हें कम से कम 1000 पत्तल तक बनाने होते हैं तब जाकर उनके लिए कुछ पैसे इकट्ठे हो पाते हैं।
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