अयोध्या बंदीपुर के लोकगीत गायक माधव मुरारी ने अपनी आवज़ से लोकगीत को जीवित रखा हुआ है। वह अवधी भाषा में सोहर, बिरहा, वीर रस गायक के रूप में उभरते हुए सितारे हैं। उनका कहना है कि उन्हें बचपन से ही बिरहा गायन का शौक रहा। उन्हें यह अपने पिता से विरासत में मिली हैजो मेरे गुरू भी हैं। शुरुआती दौर में थोड़ी बहुत मुश्किल हुई थी। आगे उन्हें कई राज्यों में सांस्कृतिक कार्य प्रस्तुत करने का मौका मिला। वह बिरहा के क्षेत्र में मशहूर गायक भी बन चुके हैं।
उनकी छः लोगों की टीम है। वह बताते हैं कि पहले व अब के कार्यक्रमों में थोड़ा बदलाव हुआ है। पहले लोग भी ज़मीन पर बैठकर गीत सुनते थे और गायक भी ज़मीन पर बैठकर ही गाते थे। अब लोग कुर्सी पर बैठकर सुनते हैं।
ये भी देखें –
छतरपुर : लोकगीत की लगन ने दिया मंच, अब कमा रहे नाम – दशरथ श्रीवास
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’