टीकमगढ़ जिले के गाँव बर्मा मांज के रहने वाले किसान अवधेश प्रताप बुंदेला, ने पपीता की खेती करते हैं। वह बताते हैं कि लगभग आधा एकड़ जमीन पर उन्होंने 300 पपीते के पेड़ लगाए हैं। पिछले ढेड़ साल से यह पपीते की खेती कर रहे हैं और उन्हें इसमें 50 से 60 रुपए की लागत आती है। पपीते के पौधे छह महीने में तैयार हो जाते हैं और उसमें फल आने लगते हैं। एक पपीते का वज़न एक से ढेड़ किलो होता है।
एक नजर यहाँ भी : वाराणसी: मोती और सीप की अनोखी खेती देखिए इस वीडियो में
पपीते की खेती करने के पीछे उनका यही कारण था कि मूंग, तिली और मूंगफली आदि की खेती के लिए अच्छी बारिश की ज़रूरत होती है, जो कभी-कभार ही होती है। और बारिश ना होने से उन्हें घाटे की मार झेलनी पड़ सकती है। वहीं पपीते की खेती में लागत कम लगता है और फायदा ज़्यादा होता है। वह कहते हैं कि अभी तक वह 40 से 50 क्यूंटल पपीते बेच चुके हैं।
एक बार की खेती दो से तीन साल तक चलती है। पपीते को बेचने के लिए उन्हें कहीं जाने की ज़रूरत नही पड़ती। घर से ही सब बिक जाता है। वह कहते हैं कि अब वह पपीते की खेती के साथ-साथ 5 एकड़ जमीन पर अमरूद और आम की खेती भी करेंगे। इस मामले में उद्यान विभाग टीकमगढ़ के सहायक संचालक सुरेश सिंह राजावत का कहना है कि लोगों को पपीता की खेती करने के लिए तकनीकी सहयोग दिया गया है। वह चाहते हैं कि लोग फलों की खेती के साथ में सब्ज़ियों की खेती भी करें।
एक नजर यहाँ भी :चित्रकूट- केले की खेती से मिथेलश कुमार ने बढ़ायी अपनी आमदनी