महोबा शहर के रहने वाले शकुंतला ने ऐसा काम कर दिखाया जिसकी महोबा जिला ही नहीं दूसरे जिले के लोग भी प्रशंसा कर रहे हैं | शकुंतला लगभग 60 साल की है जिससे बच्चों की खुशी के लिए लगभग 40 साल से रावण बनाने का काम कर रही है। शकुंतला का कहना है कि मैं तो सिर्फ बच्चों के खुशी के लिए यह कर रही हूं।
1 साल ऐसा हो हुआ था कि रावण बनाने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ था तभी मैंने ठान लिया था कि बच्चों की खुशी के लिए मैं क्यों ना करूँ उसी साल से मैं महोबा जिला के रामलीला मैदान में रावण बनाती हूं. पहले तो सिर्फ कपड़ों और से बनाया जाता था अब कुछ दिन पहले रावण खाका लोहे से बनाया गया है पर फिर भी 55 फुट ऊंचाई में चढ़कर मैं कपड़ा पहन आती हूं कपड़े के अंदर पटाखा रखती हूं. पहले तो 15 से 20 दिन लगते थे लेकिन अब लगभग चार-पांच दिन में रावण को तैयार कर देते हैं. मेरे साथ एक और कारीगर होता है |
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जब भी मैं रावण बनाने के लिए जाती हूं तो सोच भी लेती हूं कि अगर मरना ही होगा तो एक भगवान के ही रूप में मरना होगा मैं डरती नहीं हूं रावण बनाने से. जो कि हां यही चुनौतियाँ होती हैं कि कितनी ऊंचाई में जाना और उतरना यह काफी मुश्किलें होती हैं पैरों में छाले पड़ जाते हैं और बुखार भी हो जाता है. लेकिन मैंने इन सब चीजों पर कभी धयान नहीं दिया। मुझे खुशी होती है कि जब मैं रावण बनाती हूँ तो मेरा नाम होता है मुझे लोग जानते हैं |रावण बनाने का जितना भी खर्च आता है वो रामलीला कमेटी के अध्यक्ष ही खर्च करते हैं उसमें मेरा कुछ भी नहीं लगता है मैं सिर्फ रावण ही बनाती हूं ना ही मैं पैसा लेती हूं. हां सम्मान के तहत कुछ भी दे वही मेरा पैसा है वही मेरा सम्मान है |