छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राजेंद्र नगर अर्पण दिव्यांग पब्लिक स्कूल उन बच्चों के लिए एक खास जगह बन चुकी है जो सुन और बोल नहीं सकते। यह स्कूल न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका लेकर आया है बल्कि यहां बच्चों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने की दिशा में विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यहां पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि जब उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल में दाखिल किया था तब वे ना बोल पाते थे ना ठीक से समझ पाते थे लेकिन अब वे साइन लैंग्वेज में बात करना सीख गए हैं और उनमें आत्मविश्वास भी साफ दिखाई देता है पहले वो शर्माते थे किसी के सामने आने में बोलने में नार्मल स्कूल में भी न्दिक्कत होती वहां न टिचर इनकी बात समझ पाते थे न बच्चा टिंचर की बात समझता था यहां एक साल में भी पूरी तरह से हर बात समझ रहें हैं समझा रहें हैं स्कूल का उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। यहां शिक्षा के साथ-साथ उनकी देखभाल, मानसिक विकास और सामाजिक कौशल पर भी ध्यान दिया जाता है अर्पण एक ऐसी जगह बन चुकी है जहाँ मौन रह गए सपनों को न सिर्फ आवाज़ मिल रही है बल्कि वो पूरे आत्मबल के साथ आगे बढ़ रहे है
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