अमित शाह ने कहा कि, “जब मैं लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार गया था तो मैनें कहा था कि राम मंदिर बन गया है, अब माता सीता का भव्य मंदिर बनाने की बारी है। यह मंदिर पूरी दुनिया को महिला शक्ति का सन्देश देगा और यह दिखाएगा कि जीवन हर तरीके से आदर्श होना चाहिए।”
बिहार के मिथिलांचल में ‘सीता मंदिर’ बनवाये जाने की ख़बर है। असल में, यह बात केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद में रविवार, 9 मार्च 2025 को हो रहे ‘शाश्वत मिथिला महोत्सव 2025’ कार्यक्रम में कही।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने मिथिलांचल और बिहार के लोगों की सराहना की, जिन्होंने गुजरात के विकास में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र का प्राचीन काल से लोकतंत्र और दर्शनशास्त्र को सशक्त बनाने का इतिहास रहा है। उन्होंने वादा किया कि माता सीता का एक भव्य मंदिर बनवाया जाएगा।
बता दें, अमित शाह द्वारा माता सीता का मंदिर बनवाने की घोषणा करना इस साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव और उसकी राजनीति से जुड़ा हुआ है। ऐसा ही कुछ हमने 2024 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले भी देखा था, जहां यूपी के अयोध्या में बनवाया गया राम मंदिर, राजनीति और सत्ता का केंद्र था। पिछले एक दशक से धर्म व आस्था की राजनीति चरम पर है और इसका इस्तेमाल हर तरह से सत्ता में आने के लिए किया जा रहा है।
‘माता सीता का मंदिर देगा शक्ति का सन्देश’
अमित शाह ने कहा कि, “जब मैं लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार गया था तो मैनें कहा था कि राम मंदिर बन गया है, अब माता सीता का भव्य मंदिर बनाने की बारी है। यह मंदिर पूरी दुनिया को महिला शक्ति का सन्देश देगा और यह दिखाएगा कि जीवन हर तरीके से आदर्श होना चाहिए।”
आगे कहा, “मिथिलांचल और बिहार के लोग जो गुजरात में बसे हैं, उन्होंने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे लोग सुरक्षा, सम्मान और राज्य में स्वागत योग्य है। मिथिला की भूमि रामायण और महाभारत के समय से बौद्धिकों की भूमि रही है।
“महात्मा बुद्ध ने कई बार कहा था कि जब तक विदेह के लोग (विदेह, मिथिलांचल में आने वाली एक जगह का नाम है) एक साथ रहेंगे, कोई उन्हें हरा नहीं सकता। मिथिलांचल ने लोकतंत्र को एक मजबूत शक्ति के रूप में साबित किया, जो सालों तक पूरे देश को इसका संदेश देता रहा। मिथिलांचल शास्त्रार्थ की भूमि भी रही है। भारत के छह प्रमुख दर्शन शास्त्रों में से चार मिथिलांचल से आए हैं”- अमित शाह ने कहा।
बिहार में चुनाव को देखते हुए भाजपा द्वारा इससे पहले राज्य में मंत्रिमंडल का विस्तार भी किया गया था, जिसमें भिन्न-भिन्न जातियों को वोट के अनुसार टारगेट करते हुए मंत्रियों को चयनित किया गया था।
जाति व धर्म, चुनावी समय में उग्र तौर पर दिखाई देते हैं और ज़रूरत के समय शांत कर दिए जाते हैं। वहीं प्राथमिकता व अपनी बात रखने की इज़ाज़त भी इस बीच उन जाति व धर्म के लोगों को मिलती है, जिसे समाज व सत्ता मौका देती है। ऐसे में वे सभी लोग हमेशा पीछे छोड़ दिए जाते हैं, जिन्हें सबसे ज़्यादा मदद व चुनाव से विकास की उम्मीद होती है।
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