खबर लहरिया Blog बजट 2024 में पीएम आवास योजना के तहत 3 करोड़ अतिरिक्त आवास की घोषणा, ये आवास गांवो में कहां हैं?

बजट 2024 में पीएम आवास योजना के तहत 3 करोड़ अतिरिक्त आवास की घोषणा, ये आवास गांवो में कहां हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के लिए नए केंद्रीय बजट 2024-2025 की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई 2024 को अपने बजट भाषण में कच्चे या अस्थायी मकान में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ अतिरिक्त आवास बनाने की घोषणा की थी। इस योजना पर मौजूदा वित्त वर्ष में 10 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। राज्य नगरीय विकास अभिकरण के अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के हिस्से में करीब 20 लाख आवास आने की संभावना है।

Announcement of 3 crore additional houses under PM Awas Yojana in Budget 2024

                                                                                                            80 वर्षीय भूरी व अनीता अपने टूटे हुए आवास के सामने ( फोटो साभार – खबर लहरिया/ नाज़नी)

रिपोर्ट – नाज़नी रिज़वी 

PM Awas Yojana: प्रधानमंत्री आवास योजना जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में रहने वालों के लिए शुरू की गई है। ऐसे लोग जिनके पास कच्चे मकान है इस योजना के तहत उन्हें पक्का घर बनाने के लिए सहायता राशि दी जाती है। ऐसे तो ये योजना 25 जून 2015 को लागू की गई थी पर आज भी इस योजना के तहत लाखों लोगों को पक्के घर नहीं बन पाए हैं। वे लोग आज भी पक्के घरों के लिए तरसते हैं और बरसात में इन लोगों की मुश्किलें और बढ़ जाती है। वे अकसर बरसात में घर गिरने के डर से गुजरते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का शोर उन तक पंहुचा है लेकिन आवास की पहुंच से आज भी वे दूर हैं। कितने लोगों को इस योजना का लाभ मिला है? क्या उनके घर सच में पक्के हो गए हैं? इस सच को पता करने के लिए खबर लहरिया ने खुद वहां के लोगों से बातचीत की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के लिए नए केंद्रीय बजट 2024-2025 की घोषणा की गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण में कच्चे या अस्थायी मकान में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ अतिरिक्त आवास बनाने की घोषणा की थी। इस योजना पर मौजूदा वित्त वर्ष में 10 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। राज्य नगरीय विकास अभिकरण के अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के हिस्से में करीब 20 लाख आवास आने की संभावना है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के तहत, 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से एक करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों को पूरा किया जाएगा।”

प्रधानमंत्री आवास योजना के आकड़ों के अनुसार, 12 जून, 2024 तक 2.94 करोड़ घरों को मंजूरी दी जा चुकी है और 2.62 करोड़ घर बनकर तैयार हो चुके हैं। उनके अनुसार इस योजना से लाखों ग्रामीण परिवारों की जीवन स्थितियों में सुधार आया है। क्या सच में ग्रामीणों की स्थिति में सुधार आया है?

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की ही बात करें तो कर्वी ब्लॉक के गांव पुरवा तरौंहा के मजरा गोपालपुर में लोगों के कच्चे मकान हैं जो बारिशों में चूने लगते हैं। गोपालपुर में लगभग 700 आबादी और 400 वोटर है। वहां लगभग 200 मकान है जिसमें से 70 घर, जिस तरफ दलित और मुस्लिम घर हैं वहां पर लगभग 15 घर कच्चे हैं।

वहां के लोग बरसात में घरों में बर्तन रखकर अपने घर को भीगने से बचा पाते हैं। वहां के लोगों ने बताया कि पक्के घर उन्हीं के बनवाए जाते हैं जिनकी पहुंच होती है और जिनके पास पहले से सुविधा है। कुछ अपात्र लोग घूस देकर पात्रता की श्रेणी में आ जाते हैं और वो प्रधान, सचिव के खास होते हैं, या फिर उनका दबदबा होता है।

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रात भर बारिश से घर और खुद को बचाने का करते हैं प्रयास

वैसे तो कागजों में हर घर को छत मिल चुकी है लेकिन अभी भी ऐसे बहुत से गांव हैं जहां कच्चे मकान हैं। बारिश से लोग रातभर जागकर खपरैल के चूते हुए पानी से खुद को और घर को बचाने का असफल प्रयास करते हैं। वहां के लोगों ने बताया कि हमें किसी भी तरह की सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है।

संतु देवी जिनकी उम्र 20 साल है। कहती हैं कि, “हम, हमारे मां-बाप, सब लोग आवास की मांग करते-करते थक गये लेकिन अब उम्मीद भी छोड़ दी है। हमें आज तक कॉलोनी नहीं मिली। प्रधान यहां कभी आते ही नहीं और न ही कोई अधिकारी कभी आता है।”

बारिश में भीग जाता है जरूरत का सामान

भूरी (80) कहती हैं, “एक कमरा है, बच्चे सब अपने घर परिवार में व्यस्त है। मैं अकेले खाती-बनाती हूं, बारिश में पूरा घर टपकता है। बारिश में मेरा पूरा घर अस्त-व्यस्त हो जाता है। अनाज, कागज-पत्र जरूरी सामान सब भीग जाता है। मेरे सामने 10 बार तो प्रधान बन ही गये होंगे पर मुझे अभी तक कालोनी नहीं मिली। कोई सुनता भी नहीं है। बस जब दिखते हैं जब वोट चाहिए होता है। उस समय तो ये भी नहीं देखेंगे कि मैं दलित हूं, चाहे किसी भी जाति के प्रत्याशी हो पैर छू लेंगे। उसके बाद फिर तो हमें नहीं पहचानते। बड़ी जाति के प्रधान बन गए तो कर्वी या बेड़ी पुलिया में रहने लगते हैं। हमारे बस का तो इस उम्र में है नहीं उनके पास बार-बार जाना। मेरे पूरे उपले भीग गये अब खाना कैसे बनाऊंगी? पन्नी डाली थी एक हज़ार की पिछले साल, वो भी फट गई इस साल। पैसे नहीं हैं कहां से पन्नी डालती?”

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पन्नी से करना पड़ता है जुगाड़

फतेह मोहम्मद ने बताया “हमें यहां रहते 6 पीढ़ी गुजर गए। हम मजदूर लोग हैं। कभी मजदूरी मिली, कभी नहीं। खपरैल के कच्चे मकान में रहते हैं इतनी आमदनी होती नहीं है कि घर बना सके। अब तो खपरे भी नहीं मिलते, हर साल छाना (ढकना) पड़ता है। अभी बारिश हो रही है, पानी टपक रहा है। आप देख ही रहे हो। लगातार होती रही तो दीवार गिरने का खतरा है। अगर नहीं रूकी तो पन्नी डालनी पड़ती है। पन्नी हवा से फट जाती है, कुछ तो करना पड़ेगा। बारिश रुके तो व्यवस्था करेंगे वरना खतरा है छोटे-छोटे बच्चे हैं कहां जाएंगे?”

अप्लाई करने के बाद भी नहीं मिला आवास

वेदमती ने बताया कि “जब हमने कालोनी के लिए अप्लाई किया था तो नाम भी लिस्ट में आया था फिर नाम कटवा दिया। लोगों ने कहा हमारे यहां चक्की है, हम बड़े आदमी हैं। जबकि हमारे पापा के पास न खेती है, न कोई गाड़ी है और न चक्की थी, चक्की वो भी क़र्ज़ लेकर ली थी। गांव में इतनी कमाई तो थी नहीं इसलिए चक्की चली नहीं, बंद करनी पड़ी है। भाई लोग मजदूरी करते हैं, मम्मी पापा दूसरों के खेत में काम करते हैं। इस समय पानी बरस रहा है बैठने तक की जगह नहीं है। कहां बैठे? कहां खाना बनाएं? किसी तरह इधर-उधर सामान रखना पड़ता है।”

प्रधानमंत्री आवास योजना की वेबसाइट गांव में नहीं करती काम

प्रधान मोहनलाल वर्मा ने बताया, “अभी आवास की वेबसाइट का सर्वर डाउन है। जैसे ही साइट खुलेगी लोगों के आवास ऑनलाइन किए जाएंगे। लोहिया गांव में तो पूर्व प्रधान ने ज्यादातर आवास योजना का लाभ लोगों को दिलाया था। जो लोग रह गये हैं और जो पात्रता की श्रेणी में आते हैं उनको आवास योजना का लाभ दिलाने का पूरा प्रयास करूंगा।”

तीन साल से किसी को आवास नहीं

सचिव रोशन सिंह ने बताया कि “इस पंचवर्षीय एक भी कालोनी नहीं आई है, न विकलांग कोटा से न ही विधवा, न ही जाति आधारित। प्रधानमंत्री आवास योजना की वेबसाइट साइट लंबे समय से बंद है। जब साइट खुलती है तो विकास भवन से विकास अधिकारी डीएम के आदेश से नोडल अधिकारी बनते हैं वही जाकर सर्वे करते हैं। पात्र,अपात्र की लिस्ट वही तैयार करते हैं। अभी तीन साल से आवास का कोई काम नहीं हुआ है।”

 

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Comments:

  1. Jayram says:

    Ye to sub jagah ka hal hai jiski pahuch hoti hai ya fer ghush de dete hai unki kaloni aa jati hai jo jinke paas paisa nhi hai unko yojnaon ka labha nhi mil pata hai modi sarkar se bhut ummid thee ki shasan tite hai to sabko milega but bhut kuch theek nhi hai prdhan aur sachiv apne hisab se kam karte hai jha se unhe beni fit hota hai

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