रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी को बुधवार को स्वीडिश टेलीकॉम दिग्गज एरिक्सन पर बकाया 550 करोड़ रुपये का भुगतान न करने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना का दोषी ठहराया गया है।
न्यायधीश आर एफ नरीमन और विनीत सहारण की पीठ ने अंबानी से चार सप्ताह के भीतर एरिक्सन को 453 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा और चेतावनी दी कि यदि इसके आदेशों का पालन नहीं किया गया तो उन्हें तीन महीने जेल में बिताने पड़ेंगे।
मामले में एरिक्सन इंडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने पहले सुनवाई के दौरान अंबानी को निशाना बनाने के लिए राफेल सौदे का आह्वान भी किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अनिल अंबानी का प्रतिनिधित्व करते हुए, इसका मुकाबला करने की मांग की और कहा कि जिओ को आरकॉम परिसंपत्तियों की बिक्री का उपक्रम सशर्त माना गया।
रोहतगी ने पीठ को बताया, जिसकी बिक्री 18,100 करोड़ रुपये होने की उम्मीद थी वो केवल 780 करोड़ रुपये में हुई। डेव ने प्रस्तुत किया कि बिक्री का यह पैसा एरिक्सन के बजाय दूरसंचार विभाग को दिया गया था। रोहतगी ने जवाब दिया कि टेलीकॉम लाइसेंस को चलाए रखने के लिए कर्जदाताओं ने ऐसा किया।
उस बेंच के आदेश पर भी विवाद हुआ जिसने अवमानना कार्यवाही के दौरान अंबानी की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शीर्ष अदालत के आदेश के साथ छेड़छाड़ के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।
7 जनवरी को शीर्ष अदालत की बेंच ने स्वीडिश दूरसंचार समूह एरिक्सन द्वारा अवमानना याचिका पर अनिल अंबानी की व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश दिया था।