जिला अम्बेडकर नगर के ब्लॉक भीटी ग्रामसभा महमदपुर धामापट्टी, यहां पर दिलशाद नाम के यक्ति फटे-पुराने कपड़ों से दरी और पायदान बनाते हैं। इसकी खास बात यह है कि एक गरीब परिवार भी बड़े आसानी से इसे खरीद या अपने घर में बचे फटे पुराने कपड़ों को देकर दरी बनवा सकते हैं।
दिलशाद का कहना है कि दरी बनाने में 4 किलो कपड़ा लगता है। लोगों के घरों में पुराना फटा कपड़ा पड़ा रहता है, उसी से एक नई दरी तैयार हो जाती है। यह काफी टिकाऊ भी होती है। एक बार अगर बनवा लेते हैं तो कई साल तक चलता है। आगे कहा, यह हमारा यह पुश्तैनी काम है जो हमारे बाबा और हमारे पिता भी करते थे।
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वह बताते हैं, दरी बनाने के लिए जो सामान लगता है उसमें चार किलो पुराना कपड़ा, रेशमी धागा, ऊन इत्यादि चीज़ों की ज़रूरत होती है जिसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में किया जा सकता है।
लोगों ने बताया, दरी बहुत मुलायम और मोटी भी होती है, जिसे वह अपनी तख्त या खाट पर आसानी से बिछा सकते हैं। एक दरी की कीमत डेढ़ सौ रुपए होती है। इसके साथ ही वह कपड़े भी देते हैं। इसकी लंबाई 7 फीट और चौड़ाई 4 इंच होती है। अगर आपके घरों में भी फटे-पुराने कपड़े हो तो इसी तरीके की दरी बनवाकर आप भी उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
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