इलाहबाद उच्च न्यायालय ने ताजमहल के “22 बंद कमरों” को खोलने की याचिका की खारिज़।
ताजमहल से जुड़ी याचिका जिसमें ताजमहल के “22 बंद कमरों” को खोलने की मांग की गयी थी, वीरवार 12 मई 2020 को लखनऊ बेंच की इलाहबाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ता राजनीश सिंह को फटकार लगते हुए कहा कि जाकर पहले रिसर्च करिये। पढ़िए, एमए और पीएचडी करिए…अगर कोई ऐसे विषय पर रिसर्च में दाखिला देने से मना करे, तब वह कोर्ट के पास आएं।
इलाहबाद कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट की तरफ अपना रुख करने वाले हैं।
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पढ़ाई के बाद कोर्ट आइएगा – अदालत
अदालत ने साफ कहा, “आप जनहित याचिका (पीआईएल) व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। ताजमहल किसने बनवाया पहले जाकर रिसर्च करिए। विश्वविद्यालय जाइए। पीएचडी करिए…पढ़ाई के बाद कोर्ट आइएगा।” अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इतिहास याचिकाकर्ता के मुताबिक पढ़ा जाएगा?
आपको बता दें, इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका डालने वाले राजनीश सिंह बीजेपी के नेता हैं। यह यूपी के अयोध्या जिले के रहने वाले हैं। राजनीश ने दो सालों तक भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी के रूप में काम किया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी दरख्वास्त की थी कि वह ताज महल के अंदर जाकर चीजें देखना चाहते हैं। याचिकाकर्ता की इस गुजारिश पर अदालत ने सख़्ती से जवाब देते हुए कहा – कल आप आएंगे और हमसे कहेंगे कि आप हमें सम्मानित जजों के चैंबरों में भी जाने दीजिए?
पीआईएल का मजाक न बनाएं – कोर्ट
अदालत में टिप्पणी की जाती है कि आप ताज महल के कमरों को खुलवाने वाले कौन होते हैं, पीआईएल का मजाक न बनाएं। वहीं याचिकाकर्ता के वकील रूद्र विक्रम सिंह का कहना है कि उन्होंने अभी हार नहीं मानी है। इस मामले में वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले वह इतिहास विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संपर्क करेंगे।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि हमें कई कमरों के बारे में पता चला है, जो कि बंद हैं। अफसरों ने कहा है कि वे कमरे सुरक्षा कारणों से बंद हैं। अगर ताज महल में चीजें छिपी हैं, तो उन्हें सार्वजनिक होना चाहिए।
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याचिकाकर्ता ने दिया आरटीआई का हवाला
आगे याचिकाकर्ता ने आरटीआई (सूचना के अधिकार) अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें यह जानने का अधिकार है कि आखिरकार ताज महल के अंदर उन 22 कमरों में क्या है? इस पर जवाब में कोर्ट ने कहा- हम आखिर इसके आधार पर कैसे फैसला दे सकते हैं? आपका क्या अधिकार है? यह राइट (अधिकार) कहां है?
ताजमहल के मामले को फ़िलहाल तो इलाहबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है लेकिन मामले को सुप्रीम कोर्ट में लेकर जाने की बात भी याचिकाकर्ता द्वारा की जा रही है। देखना होगा कि याचिकाकर्ता द्वारा ताजमहल के कमरों को खुलवाने को लेकर और क्या दलीलें दी जाती हैं व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस पर क्या सोचता है।
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