कभी बुंदेलखंड जाएं, तो वहां का लोकप्रिय लोकगीत आल्हा ज़रूर सुनिएगा। वीर रस से भरे हुए ये लोक गीत बुंदेलखंड का अभिमान भी हैं और पहचान भी। ढोलक, झांझड़ और मंजीरे की संगत में आल्हा गायक तलवार चलाते हुए जब ऊंची आवाज़ में आल्हा गाते हैं, तो माहौल जोश से भर जाता है। ये गीत कई सदियों से बुंदेलखंड की संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। आज यहाँ एक से बढ़कर एक योद्धा-योद्धाएं तैयार हो रहे हैं।
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आज इस वीडियो के माध्यम से एक ऐसी टीम से मिलवाएंगे जो आल्हा गायन करती हैं। और कई जगहों पर अपनी बुलंद आवाज का परचम भी लहरा चुकी हैं।
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