एमपी विधानसभा चुनाव 2023: मध्यप्रदेश जंगली एरिया के नाम से फेमस है। यहां लगभग 40% आदिवासी परिवार रहते हैं, जो जंगल के सहारे ही अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। इसके अलावा रोजगार का उनके पास कोई साधन नहीं है। वर्तमान में भाजपा कि सरकार है और अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसकी तैयारियां जोरों शोरों से खासकर भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रही है। इसके अलावा अन्य छोटी पार्टियों भी चुनावी माहौल में अपनी दावेदारी ठोकने में कम नहीं हैं। लेकिन आम लोगों का जीना बेरोजगारी के कारण काफी अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रदेश में महंगाई और बेरोजगारी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। वहीं वर्तमान सरकार अपनी योजनाएं और विकास गिनाने से भी पीछे नहीं है। जनता चुनाव में प्रचार प्रसार को आने वाले प्रत्याशियों का इंतजार कर रही है ताकि वह उनसे सवाल-जवाब कर सके। उनको सरकार से योजनाओं की गिनती और लाभ नहीं रोज़गार चाहिए।
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खम्हरी गांव के आदिवासी परिवारों का कहना है कि वह जंगल के बीच रहते हैं। जंगल से बहुत ही अच्छी जिंदगी जी रहे हैं, सुकून से रह रहे हैं। महुआ,चारवा बीनकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। सरकार की उन्हें किसी भी तरह की कोई योजनाएं नहीं चाहिए लेकिन हां जो रोजगार उनका जंगल से चलता है,उसको ना छीना जाए। वैसे भी बेरोजगारी चरम सीमा पर है। ऐसे में अगर जंगल से होने वाला रोजगार भी उनका छिन गया तो वह कहां जाएंगे। उन्हें रोज़गार की सबसे ज़्यादा जरूरत है या फिर उनको इसके बदले कोई अच्छा रोज़गार दिया जाए।
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