खबर लहरिया Blog ऐसा गाँव जहाँ शादियों के लिए करना होता है गर्मी का इन्तजार, जानिए क्यों?

ऐसा गाँव जहाँ शादियों के लिए करना होता है गर्मी का इन्तजार, जानिए क्यों?

वाराणसी जिले का पनिहारी गाँव जहाँ सड़क के अभाव में हर मौसम में शादियां नहीं हो पा रही हैं। शिकायत करने के बाद भी कई ऐसी सड़कें कच्ची पड़ी हैं जिनपर चलना मुश्किल हो रहा है।

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वाराणसी जिले के ब्लॉक चिरईगाँव के पनिहारी के लोगों का कहना है कि लगभग 25 सालों से लगभग 2 से ढाई सौ मीटर तक की सड़क कच्ची पड़ी है। जिस पर लोग बिल्कुल भी चल नहीं सकते हैं। इसको लेकर के कई बार लोगों ने शिकायत भी कि है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। शादियों के सीजन में गाड़ी घोड़ा आने में बहुत दिक्कत होती है। बारात घर आने के बजाय 200 मीटर दूर ही रुक जाती है। इस गाँव में 20 से 25 घर हैं लेकिन आज तक लोगों को ईट की रास्ता नशीब नहीं हुई है। गाँव में कच्ची सड़के ही हैं। कई बार मांग करने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई है। सबसे ज्यादा दिक्कत तो बारिश में ही होती है। चारों तरफ जलभराव हो जाता है जिससे लोग अपने घरों में ही कैद होकर रह जाते हैं।

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25 सालों से बनी है एक जैसी स्थिति

प्रभावती का कहना है सड़क की समस्या के चलते लोग गर्मी के मौसम में ही शादियाँ करते हैं। जब फसल काटकर लोगों की खेती ख़ाली हो जाती है तो तो लोग अपने बच्चों की शादी करते हैं ताकि खेत में ही बारात ठहरा सकें। और सड़क भी सूखी हो ताकि खेतों तक बारात पहुँच पाए। जो लोग पैसे वाले होते हैं वह तो मैरिज लॉन में शादी कर लेते हैं लेकिन जिनके पास नहीं है इतनी व्यवस्था वह गर्मी के मौसम का इन्तजार करते हैं। प्रभावती कहती कहीं कि ऐसा नहीं है कि गाँव में जमीन नहीं ख़ाली है। गाँव में ऐसी कई जगह जमीने है सरकार चाहे तो बारात घर बनवा सकती है। वर्तमान प्रधान ने आश्वासन दिया है अगर बन गया तो ख़ुशी होगी।

कच्ची सड़क हर साल होती है चुनावी मुद्दा

शांति ने हमें बताया कि कच्ची सड़क है रात में निकलने में डर रहता है। बाहर निकलो कहीं फिसलकर गिर गये तो कोई देखने वाला भी नहीं होगा। बच्चे भी स्कूल जाते हैं तो जब तक घर नहीं आ जाते नजर हमेशा रास्ते पर ही लगी रहती है। यह समस्या लगभग 25 सालों से चली आ रही है। अगर देखा जाये तो तीन पंचवर्षीय बीत गई है लेकिन सड़क का ध्यान किसी ने नहीं दिया। चुनाव के समय में सड़क ही चुनावी मुद्दा होता है पर जीत जाने के बाद फिर से वही स्थिति बन जाती है।

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गाँव तक नहीं आ पाती एम्बुलेंस

गुंजा बताती हैं कि कभी महिलाओं की डिलेवरी हो या कोई और इमरजेंसी केस यहाँ गाड़ियाँ नहीं आ पाती हैं। साइकिल से लाद कर लोगों को ले जाना पड़ता है। जल्दी पहुँचने के बजाय और देरी हो जाती है। ऐसे में मरीजों को कुछ भी हो सकता है। फिर कौन जिम्मेदार होगा? सब अपना-अपना दुःख व्यक्त कर बगल हो जायेंगे लेकिन समस्या वैसी की वैसी ही रहेगी। जनता लगातार चक्कर काटती रह जाती है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है।

विवादित जमीन की वजह से लग रहा समय-प्रधान

मनोज प्रधान गाँव पनिहारी का कहना है कि यह समस्या लगभग 25 साल से चल रही है। उन्होंने कई बार सड़क के लिए लोगों से जमीन की मांग की है लेकिन गाँव के लोग ही राजी नहीं हुए। प्रधान ने कहा कि उन्हें अभी 4 महीने ही हुए काम संभाले हुए लेकिन वह अपने कार्यकाल में इस सड़क को बनवायेगे। वह विवादित जमीन है इसलिए समय लग रहा है। सड़क के एक तरफ वकील की जमीन है दूसरी तरफ ग्रामीणों और सरकारी बंजर भी है दोनों तरफ के लोगों से रिक्वेस्ट करके रास्ता जरूर बनवायेंगे।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुशीला देवी द्वारा की गयी है। 

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