एमपी के जबलपुर में रहने वाले पति-पत्नी ने ‘मियाज़ाकि आम’ के पौधे को अपने बगीचे में लगाया है। यह आम दुनिया का सबसे महंगा लाखों में बिकने वाला आम है जिसकी रखवाली के लिए जोड़े ने 6 कुत्ते और 4 गॉर्डस भी रखें हैं।
‘मियाज़ाकि आम’ ( Miyazaki mangoes) को अंतराष्ट्रीय बाज़ार में 2 लाख 70 हज़ार रुपये में बेचा गया था। यह कोई लोकल आम नहीं है बल्कि जापान में उगाये जाने वाले आम की एक किस्म (variety) है, जिसका नाम ‘मियाज़ाकि’ आम है। इसे एग ऑफ सनशाइन (Eggs of Sunshine) के नाम से भी जाना जाता है।
साथ ही इस आम को दुनिया में बिकने वाला सबसे महंगा आम माना जाता है। इस आम की खेती एमपी के रहने वाले पति-पत्नी कर रहें हैं।
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साधारण पौधा समझ लगाया था बाग में
एमपी के जबलपुर में रहने वाले पति-पत्नी संकल्प अहिरवार और रानी ने लगभग चार सालों पहले ‘मियाज़ाकि’ आम के पौधे को अपने बाग में लगाया था। पति-पत्नी दोनों ही इस बात से अंजान थे कि बाग़ में लगा आम का पौधा दुनिया में बिकने वाला सबसे महंगा मियाज़ाकि आम है। जिसके एक आम की कीमत तकरीबन 2 लाख है।
जब आम के छोटे से पौधे में आम आने लगे तो आस-पास पड़ोस व इसकी जानकारी रखने वाले लोगों से उन्हें आम की खासियत के बारे में पता चला।
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अंजान व्यक्ति ने दिया था मियाज़ाकि आम का पौधा
संकल्प और उसकी पत्नी रानी जब पौधा खरीदने के लिए चेन्नई जा रहे थे तो एक अंजान व्यक्ति ने उन्हें आम का पौधा दिया था। व्यक्ति ने यह भी कहा कि
यह आम दुनिया का सबसे महंगा आम है। इसका ख्याल वह अपने बच्चे की तरह रखें।
इस बात से अंजान कि यह आम कैसा दिखेगा या सच में यह दुनिया का सबसे महंगा आम है, संकल्प और उसकी पत्नी रानी ने इस पौधे को अपने बग़ीचे में लगा दिया।
वहीं अगर आम की बात करें तो आम खाने में मीठा और गुदगुदा है। इस आम का छिलका देखने में सुर्ख लाल सा दिखता है।
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‘मियाज़ाकि आम’ – रखवाली हेतु रखे कुत्ते व गार्ड्स
तकरीबन एक साल पहले उनके बगीचे में कुछ चोर घुस आये और उन्होंने मियाज़ाकि आम के पौधे को चुराने की कोशिश की। इसी चक्कर में उन्होंने आम के पौधे की रखवाली के लिए 6 कुत्ते और 4 गार्ड्स तैनात करने का फैसला ले लिया।
मियाज़ाकि आम की इतनी मांग है कि मुंबई के एक ज्वेलर ने संकल्प और उसकी पत्नी से आम के पौधे को खरीदना चाहा। ज्वेलर ने दोनों को 21 हज़ार रूपये में पौधे को उन्हें बेचने को कहा।
संकल्प की पत्नी रानी ने कहा कि वह अभी इस आम को बेचने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। वह चाहते हैं कि पहले इस आम की कुछ साल ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में बढ़ोतरी हो, फिर जाकर वह इस आम को बेचने की सोचेंगे।
मियाज़ाकि आम की खेती सबसे पहले कहां हुई?
जापान के मियाज़ाकि शहर में साल 1970 में पहली बार इस आम की पहली खेती हुई थी। इसके बाद इस आम का नाम ही ‘मियाज़ाकि’ पड़ गया। जानकारी के अनुसार, इसका वैज्ञानिक नाम ‘टाइयो नो टमैंगो’ है। इसका वज़न लगभग 350 ग्राम तक का होता हैं, इसलिए इसकी कीमत भी काफी ज़्यादा होती है। साल 2020 में इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में 2 लाख 70 हज़ार रुपये में बेचा गया था।
मियाज़ाकि आम की खासियत
मियाज़ाकि आम में 15% चीनी पायी जाती है। इसमें फॉलिक एसिड, कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है जिससे आँखों की रौशनी भी तेज़ होती है। बता दें, मियाज़ाकि आम की खेती अप्रैल से जून के बीच में होती हैं। इसे उगाने के लिए गर्मी और बंद जगह चाहिए होती है।
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