खबर लहरिया Blog Gujarat Bridge News: गुजरात के वडोदरा में महिसागर नदी पर बना पुल टूटा, 13 लोगों की मौत 

Gujarat Bridge News: गुजरात के वडोदरा में महिसागर नदी पर बना पुल टूटा, 13 लोगों की मौत 

गुजरात के वडोदरा जिले में महिसागर नदी पर बना एक पुल टूट गया। पुल के टूटने से कई गाड़ियां नदी में गिर गईं। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं। 

Vehicles falling on bridge collapse

पुल टूटने पर गिरते वाहन (फोटो साभार: NDTV)

9 जुलाई 2025 को गुजरात के वडोदरा जिले में पादरा तालुका में 40 साल पुराना पुल (ब्रिज) ढह गया। इसे गंभीरा पुल के नाम से भी जाना जाता है। पुल के टूटते ही पुल के ऊपर से गुजर रहे कई वाहन महिसागर नदी में गिर गए। इस घटना में अब तक 13 लोगों की मौत की खबर सामने आई है। इस हादसे में 9 लोग घायल भी हुए जिनका इलाज पास के अस्पताल में चल रह है। सूत्रों के अनुसार, गुजरात में 4 साल में यह 16वाँ ब्रिज है जो टूट गया। पादरा शहर के पास करीब 25 कंपनियां हैं जिसमें से 20 हजार कर्मचारी (मज़दूर) रोज पुल पार कर काम पर पहुंचते हैं।

लोगों ने प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार 

इस हादसे के बाद वहां के स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह पुल बेहद पुराना था और उसकी हालत कई सालों से खराब हो रखी थी। लोगों ने कई बार इसकी मरम्मत की मांग की लेकिन प्रशासन ने उनकी बात को नजरंदाज कर दिया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने वडोदरा के अधिकारियों को पहले ही चेतावनी दी थी कि पुल जर्जर हो चुका है और कभी भी गिर सकता है। लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि वडोदरा और आणंद शहर को जोड़ने वाला यह पुल बहुत जरुरी मार्ग था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि यह अब भारी वाहनों के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं था।

प्रधानमंत्री द्वारा किया गया है मुआवजे का ऐलान 

इस घटना में अपनी संवेदना जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के एक्स पर कहा है कि “गुजरात के वडोदरा जिले में एक पुल के ढहने से हुई जनहानि बेहद दुखद है। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।”

पुल 1985 में शुरू किया गया था 

दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के अनुसार, टूटा पुल 1985 में शुरू किया गया था। चार साल से इसके पिलर और स्लैब के बीच गैप आ गया था जिससे वाहन चलने पर पुल में कंपन महसूस होती थी। मुजपुरा ज़िला पंचायत सदस्य हर्षद सिंह परमार ने इसकी शिकायत 4 अगस्त 2022 में वडोदरा कलेक्टर से की थी। कुछ दिन बाद पुल को बनाने के लिए एक टीम पहुंची और पुल के गड्ढे भर दिए गए। फिर उस पुल में वापस आवाजाही शुरू कर दिया गया। हर्षद के मुतबिक प्रशासन ने पुल की रिपोर्ट छुपाई रखी।

हादसे पर दुखी मंत्रिगण, दिए जांच के आदेश और विपक्ष ने उठाए सवाल

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने इस पुल हादसे पर अपना दुःख जताया है। वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने एक जांच समिति को मौके पर भेजा है और पूरा मामला जाँचने के लिए रिपोर्ट मांगी है। साथ ही उन्होंने सख्त कार्रवाई करने के आदेश भी दिए हैं।

इधर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी इस हादसे पर दुःख जताया है। उन्होंने कहा कि यह हादसा बहुत ही दुखद और दर्दनाक है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि “गुजरात में बार-बार इतने कमजोर और खराब पुल कैसे बन रहे हैं जो कुछ ही समय में गिर जाते हैं। क्या पिछले तीन साल से सत्ता में बैठी बीजेपी सरकार इस सवाल का जवाब देगी?” 

बीते 40 सालों में भारत देश में लगभग 2100 से ज्यादा पुल टूटे 

भारत में पुलों का गिरना कोई नई बात नहीं रह गई है। अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका स्ट्रक्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1977 से वर्ष 2017 तक भारत में पुलों के ध्वस्त होने का विश्लेषण के अनुसार, इन 40 वर्षों में कुल 2130 पुल गिर चुके हैं। यह रिपोर्ट वर्ष 2020 में प्रकाशित की गई थी जिसके बाद से अभी तक कोई बड़ी रिपोर्ट इस विषय पर सामने नहीं आइ है।

 देश में मानो पुल गिरने की घटना आम बात हो गई इसे बिहार के संदर्भ में आसानी से समझा जा सकता है क्यों कि बीते कुछ दिनों पहले बिहार से भी कई पुलों की टूटने की खबर सामने आई थी। 

वर्तमान में देश के कई राज्यों में लगातार झकझोर (झमाझम) बारिश हो रही है जिससे कई नदियां उफान में है। अब इसी प्रकृति यानी बारिश को पुल टूटने का कारण बताया जा रहा है जो कि सही नहीं है। बारिश तो हर साल आती है वो अलग बात है कभी ज़्यादा होती है तो कभी कम। इसे भी एकतरफा नहीं नकारा जा सकता कि बारिश के कारण पुल नहीं ढहते हैं। लेकिन हाल में हुए गुजरात की यह घटना बारिश से कोई संबंध नहीं रखती है।

कुछ रिपोर्ट्स और वडोदरा के लोगों के बयान के अनुसार यह साफ हो चुका है कि पुल काफी पुराना हो चुका था और प्रशासन द्वारा उस पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही थी। बल्कि इस तरह से लगातार पुल टूटने की खबर के पीछे कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार साफ दिखाई देता है। 

एक तरफ सरकार विकास के भगवान बन बैठे हैं जिन्हें लगता है विकास तो हो रहा है लेकिन सवाल है कि किसका विकास? देश की व्यवस्था ऐसी है जो सुधरने का नाम ही नहीं ले रही। सरकारें बदलती तो है लेकिन सुधार ना के बराबर। सिर्फ सत्ता में बैठने वालों के चेहरे बदलते हैं देश की व्यवस्था नहीं। 

अगर देखें तो सरकारें आती-जाती रहती हैं, नीतियां बनती-बिगड़ती हैं लेकिन आम आदमी हर बार सबसे बड़ा नुक़सान का शिकार होता है। ये हादसे सिर्फ खबरों की सुर्ख़ियां बन कर रह जाती हैं। यह सोचने पर मजबूर कर दिया जाता है कि क्या देश में सिस्टम इतना कमजोर है की इंसानी ज़िंदगी वाकई अब आंकड़ों और मुआवज़ों तक सिमटकर रह गई है?

 

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