मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी किये गये बजट सत्र के दौरान लोकसभा में बताया गया कि इस समय भारत के 92,275 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में केवल एक ही शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
ऐसा, यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम ऑफ एजुकेशन (यूडीआईएसइ), 2016-17 के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार बताया गया है।
यूडीआईएसइ के तहत, राष्ट्रीय स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात प्राथमिक के लिए 23:1, उच्च प्राथमिक के लिए 17:1 और माध्यमिक विद्यालयों के लिए 27:1 होना चाहिए, ऐसा सरकार ने कहा।
मध्य प्रदेश (18,307) और राजस्थान (12,052) में एकल-शिक्षक स्कूलों की संख्या सबसे अधिक है, कुल मिलाकर 92,275 के लगभग एक-तिहाई का हिसाब लगाया गया है।
जब इन दोनों को उत्तर प्रदेश (8,092), झारखंड (7,564) और आंध्र प्रदेश (7,483) में एक साथ गिना जाता है, तो पांच राज्य भारत के कुल हिस्से का आधे से ज्यादा हिस्सा जोड़ते हैं।
इस सूचि के ज़रिये ये बताया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश का स्थान तीसरे नंबर पर है।
इसके विपरीत, दिल्ली में एक शिक्षक के साथ 5 स्कूल चल रहे हैं। ओडिशा, त्रिपुरा और चार केंद्र शासित प्रदेश – चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नागरा हवेली, लक्षद्वीप में इस तरह के स्कूल नहीं हैं।
सिक्किम में एकल-शिक्षक स्कूल हैं जबकि दमन और दीव में ऐसे तीन स्कूल हैं। नागालैंड (31) और मिजोरम (66) की गणना कुछ इस प्रकार है।