2021 में सीजेआई एनवी रमना के तहत लंबित मामलों के आकड़ें 70,000 को पार कर गई थी और 2022 के अंत तक यह बढ़कर 79,000 हो गई। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा शुरू किए गए कई अभिनव आईटी-आधारित हस्तक्षेपों के बावजूद, लंबित मामलों में वृद्धि जारी रही, जो 2024 तक लगभग 83,000 मामलों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई।
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमे 83,000 हो गए हैं जो अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। यह बीते 10 साल में 8 गुना बढ़ा है।
देश में जजों की संख्या में वृद्धि होने के बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट में मामले इतने अधिक हो गए कि ये अब तक के सबसे अधिक आकड़ों की गिनती में आ गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन आकड़ों की स्थिति को कोरोना काल ने बिगाड़ दिया। सीजेआई के तौर पर जस्टिस एसए बोबडे के कार्यकाल के दौरान, लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 65,000 हो गई क्योंकि महामारी ने न्याय वितरण प्रणाली को बाधित कर दिया था।
लंबित आकड़ें
2021 में सीजेआई एनवी रमना के तहत लंबित मामलों के आकड़ें 70,000 को पार कर गई थी और 2022 के अंत तक यह बढ़कर 79,000 हो गई। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा शुरू किए गए कई अभिनव आईटी-आधारित हस्तक्षेपों के बावजूद, लंबित मामलों में वृद्धि जारी रही, जो 2024 तक लगभग 83,000 मामलों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई।
2009 में लंबित मामलों की संख्या 2013 तक 50,000 से बढ़कर 66,000 हो गई। 2014 में स्थिति में थोड़ा सुधार आया जब मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम और आरएम लोढ़ा के कार्यकाल के दौरान लंबित मामलों की संख्या घटकर 63,000 रह गई। 2015 में सीजेआई एचएल दत्तू के कार्यकाल में इसमें और कमी आई और लंबित मामलों की संख्या घटकर 59,000 रह गई।
आपको बता दें कि अभी तक सुप्रीम कोर्ट में 82,831 मामले लंबित हैं, जिनमें से 27,604 मामले एक साल से भी कम पुराने हैं। 2024 में 38,995 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि अदालत ने 37,158 मामलों पर काम कर लिया है जिसके परिणामस्वरूप केस दाखिल करने और सुलझाने की दर लगभग बराबर हो गई।
उच्च न्यायालयों के आकड़ें
देश भर के उच्च न्यायालयों और ट्रायल कोर्ट में ये आकड़ें और चौकाने वाले हैं। 2014 में उच्च न्यायालयों में कुल लंबित मामले 41 लाख थे, जो 2023 में बढ़कर 59 लाख हो गए हालाँकि कुछ समय के लिए 61 लाख तक पहुँच गए।
ट्रायल कोर्ट के आकड़ें
ट्रायल कोर्ट में 2014 में 2.6 करोड़ मामले लंबित थे और अब यह बढ़कर 4.5 करोड़ हो गए हैं।
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल सरकार के पास बलात्कार और पोक्सो के 48,600 मामले लंबित हैं।
31 जनवरी 2023 तक फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) में पोक्सो अधिनियम के तहत 2.43 लाख से अधिक मामले लंबित थे।
लालन टॉप की रिपोर्ट में बताया गया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी ) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 2021 के करीब 13 हजार रेप के मामले लंबित थे।
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) ने शोध पत्र जारी किया था जिसमें वर्तमान में बलात्कार के मामले को देखते हुए लंबित मामलों पर सुनवाई होने में और इंसाफ होने में बहुत साल लग जाएंगे।
जनवरी 2023 तक लंबित मामलों को लगने वाला समय
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि अरुणाचल प्रदेश को जनवरी 2023 तक यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत लंबित मामलों की सुनवाई पूरी करने में लगभग 30 साल लगेंगे तो वहीँ दिल्ली को लगभग 27 साल, पश्चिम बंगाल को लगभग 25, मेघालय को लगभग 21, बिहार को लगभग 26 और उत्तर प्रदेश को लगभग 22 साल लग जाएंगे।
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