खबर लहरिया Hindi AB-PMJAY : बकाया भुगतान न मिलने पर, हरियाणा में 650 निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत सेवा रोकी

AB-PMJAY : बकाया भुगतान न मिलने पर, हरियाणा में 650 निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत सेवा रोकी

आईएमए के हरियाणा सचिव धीरेंद्र के सोनी ने कल गुरुवार 7 अगस्त को कहा कि राज्य सरकार निजी अस्पतालों द्वारा किए गए मुफ्त में इलाज का भुगतान करने में असफल रही है।

Ayushman Bharat-Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana (AB-PMJAY)

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना

हरियाणा में 650 निजी अस्पतालों ने बकाया राशि न देने की वजह से आयुष्मान भारत सेवाएं बंद कर दी हैं। इसकी घोषणा हरियाणा के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सचिव धीरेंद्र के सोनी ने गुरुवार 7 अगस्त 2025 को दी। आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभार्थियों का इलाज 5 लाख रुपए तक मुफ्त में किया जाता है। इस सेवा को बंद करने से पहले हरियाणा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की संस्था ने चेतवानी दी थी कि यदि 7 अगस्त तक पिछला बकाया नहीं दिया गया तो वे सेवाएं बंद कर देंगे।

भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के तहत आयुष्मान कार्ड के द्वारा पात्र परिवारों को 5 लाख रुपये तक का स्‍वास्‍थ्‍य बीमा मिलता है। इसके माध्यम से मुफ्त में इलाज होता है लेकिन अब हरियाणा में 650 निजी अस्पतालों ने इस योजना का लाभ देने से मना कर दिया है। हरियाणा में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अंतर्गत 650 निजी अस्पतालों में इस योजना के तहत मुफ्त में इलाज होता था।

हरियाणा सरकार पर 500 करोड़ रुपए बकाया

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की हरियाणा शाखा ने राज्य में आयुष्मान भारत योजना की सेवाओं को रोकने की घोषणा की। आईएमए के हरियाणा सचिव धीरेंद्र के सोनी ने कल गुरुवार 7 अगस्त को कहा कि राज्य सरकार निजी अस्पतालों द्वारा किए गए मुफ्त में इलाज का भुगतान करने में असफल रही है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राज्य को लगभग 500 करोड़ रुपये भुगतान करने की चेतावनी दी थी। हालाँकि पिछले तीन दिनों में प्रतिपूर्ति के रूप में 30 करोड़ रुपये जारी किए गए, लेकिन अस्पतालों ने कहा कि यह बहुत कम है और बहुत देर हो चुकी है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (हरियाणा) के अध्यक्ष डॉ. महावीर जैन ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में जारी किए गए 30 करोड़ रुपये अपर्याप्त हैं। समय पर प्रतिपूर्ति के बिना अस्पताल इस योजना के तहत इलाज जारी नहीं रख सकते।”

आपको बता दें कि योजना के तहत कुछ निजी अस्पताल भी जुड़कर मरीजों का मुफ्त में इलाज की सुविधा देते हैं। जो भी लाभार्थियों के इलाज में खर्च राशि होती है, बाद में यह राशि उन्हें सरकार द्वारा मिल जाती है। कई बार यह राशि देने में सरकार की तरफ से देरी भी हो जाती है जिसकी वजह से कई निजी अस्पताल में सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त में इलाज की सुविधा नहीं होती है।

ग्रामीण स्तर पर आयुष्मान भारत योजना की सच्चाई

भारत सरकार ने भले यह योजना की शुरुआत गरीब लोगों के लिए किया हो लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिला है। जिन्हें यह लाभ नहीं मिल पता वह अपने घर के किसी सदस्य को पैसे न होने की वजह से इलाज करवाने में असमर्थ होते है और अपने प्रियजनों को खो बैठते हैं।

खबर लहरिया की 21 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के वाराणसी ज़िले के चोलापुर ब्लॉक के मिल्कीपुर गांव के लोग आज भी आयुष्मान कार्ड के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आधार कार्ड में मामूली बदलाव या परिवार में सदस्य कम होने की वजह से आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। ग्रामीण स्तर पर इस योजना का लाभ लोग कैसे उठाए इसकी भी जानकारी उन्हें नहीं होती जिसके लिए कई लोग योजना से वंचित रह जाते हैं।

कई ग्रमीणों को आयुष्मान भारत योजना की जानकारी नहीं

खबर लहरिया की रिपोर्ट के अनुसार यह सामने आया कि कई अस्पतालों में यही कह कर मना कर दिया जाता है कि आयुष्मान कार्ड नहीं तो इलाज कैसे होगा? आयुष्मान कार्ड कैसे बनवाया जाए इसकी भी जानकारी ग्रामीण लोगों को कम है। यूपी के महोबा जिले के व्यक्ति बताते हैं कि वे परिवार से दूर बाहर शहर में रहते हैं ऐसे में परिवार और गांव के लोगों को पता ही नहीं आयुष्मान कार्ड कैसे बनता है। सरकार को घर घर जाकर कार्ड बनवाना चाहिए ताकि सच में जिन्हें जरूरत है और जिनके लिए योजना बनाई जाती है उन तक तो लाभ पहुंचे।

महोबा: ‘आयुष्मान कार्ड’ होता तो मुफ्त में होता इलाज। KhabarLahariya

निजी अस्पताल में आयुष्मान सेवा बंद का लोगों पर असर

यह बात सिर्फ हरियाणा के निजी अस्पतालों की नहीं है। यह सोचने और चिंता का विषय है यदि सरकार इस तरह से समय से भुगतान नहीं करेगी तो आगे भविष्य में यह मामला किसी और राज्य में भी निकल कर आ सकता है। सरकार योजनाएं तो चला देती है अपनी सरकार का नाम ऊँचा करने के लिए लेकिन वास्तव में योजना पर किया जाने वाले खर्च को सही से संभाल नहीं पाती है। इसका सीधा असर गरीबों, किसान और मजदूर वर्ग पड़ता है जोकि इस उम्मीद में योजना का हिस्सा बनते हैं कि सरकार उनकी मदद करेगी लेकिन मदद की घड़ी में सरकार ही धोखा दे दे तो वे लोग कहाँ जाएँ?

 

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