खबर लहरिया Blog पैरासिटामोल जैसी रोज़ इस्तेमाल होने वाली आम दवाओं सहित 50 दवाएं हुईं गुणवत्ता परीक्षण में फेल – CDSCO रिपोर्ट 

पैरासिटामोल जैसी रोज़ इस्तेमाल होने वाली आम दवाओं सहित 50 दवाएं हुईं गुणवत्ता परीक्षण में फेल – CDSCO रिपोर्ट 

कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कंपनी में बनने वाली पैरासिटामोल की गोलियों की गुणवत्ता संबंधी चिंताओं का ज़िक्र मुख्य रूप से किया गया है। रिपोर्ट में ‘मानक गुणवत्ता से कम’ श्रेणी में 48 दवाओं की लिस्ट बनाई गई जिसमें गॉज रोल नॉन स्टेराइल रोलर बैंडेज भी शामिल है।

50 medicines including commonly used daily medicines like Paracetamol failed quality test - CDSCO report

                                                                    सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार – reuters)

पैरासिटामोल (Paracetamol) जैसी कई दवाएं जो रोज़मर्रा के जीवन में इस्तेमाल की जाती हैं, दवा परीक्षण में फेल हो गई हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation) ने हाल ही में 50 से अधिक ऐसी दवाओं की पहचान की है जो परीक्षण के दौरान गुणवत्ता टेस्ट को पास नहीं कर पाई हैं। 

ज़ारी की गई नई रिपोर्ट में नियंत्रक ने कहा कि पैरासिटामोल सहित 50 दवाएं “मानक गुणवत्ता की नहीं” (Not of Standard Quality) हैं। इन दवाओं की तैयार की गई सूची में जो अमूमन तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं उनमें विटामिन सी और डी3 टैबलेट, शेल्कल (Shelcal), विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी सॉफ्ट जैल, एंटी-एसिड पैन-डी (Pan-D), पैरासिटामोल, डायबिटीज़ की दवा ग्लिमेपाइराइड (Glimepiride) व उच्च रक्तचाप की दवा टेल्मिसर्टन (Telmisartan) इत्यादि दवाएं शामिल हैं। 

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दवाएं जिनका रोज़ होता है इस्तेमाल और गुणवत्ता में हुई फेल 

  1. पैरासिटामोल / Paracetamol Tablets IP 500 mg

पैरासिटामोल का इस्तेमाल दर्द (सिरदर्द, दांत दर्द, पीठ और मासिक धर्म दर्द सहित) और सर्दी या फ्लू के लक्षणों के इलाज के लिए किया जाता है।

  1. एंटी-एसिड पैन-डी/ anti-acid Pan-D

पैन-डी कैप्सूल पेट में एसिड को बेअसर करने का काम करता है और गैस निकलने में मदद करता है। इससे पेट की परेशानी कम होने में मदद मिलती है। 

  1. विटामिन सी और डी3 टैबलेट शेल्कल/ Calcium And Vitamin D3 Tablets IP Shelcal 500 (Shelcal)

मौजूदा जानकारी के अनुसार, शेल्कल 500 टैबलेट का इस्तेमाल विटामिन डी और कैल्शियम की कमी के इलाज के लिए किया जाता है। स्वस्थ हड्डियों और जोड़ों को बनाए रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी3 दो ज़रूरी चीज़ें हैं। इन दोनों पोषक तत्वों की कमी से हड्डी और जोड़ों से संबंधित समस्या हो सकती है। वहीं शेल्कल 500 ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) और हड्डी से संबंधित अन्य समस्याओं के इलाज में मदद करता है।ऑस्टियोपोरोसिस में व्यक्ति की हड्डियां कमज़ोर,पतली, नाज़ुक हो जाती हैं जिससे उनके टूटने की संभावना ज़्यादा होती है। 

  1. मधुमेह विरोधी दवा ग्लिमेपाइराइड/ anti-diabetic drug Glimepiride

GLIMEPIRIDE TABLETS IP (2 mg): ग्लिमेपाइराइड (Glimepiride) का इस्तेमाल टाइप 2 मधुमेह से होने वाले उच्च रक्तचाप के स्तर के इलाज के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल अकेले, या इंसुलिन या अन्य दवा जैसे मेटफॉर्मिन के साथ मिलाकर किया जा सकता है। 

टाइप 2 मधुमेह में, शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर वह इंसुलिन (यह रक्त से ग्लूकोज को शरीर की सभी कोशिकाओं में ले जाने का काम करता है) का प्रतिरोध करता है। इसमें ज़्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, भूख लगना, थकान और धुंधला दिखना जैसे लक्षण शामिल हैं।

  1. उच्च रक्तचाप की दवा टेल्मिसर्टन/ high blood pressure medication Telmisartan

Telmisartan Tablets IP 40 mg: उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए टेल्मिसर्टन (Telmisartan) का इस्तेमाल अकेले या अन्य दवाओं के साथ किया जाता है। टेल्मिसर्टन का इस्तेमाल 55 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में दिल का दौरा, स्ट्रोक या मृत्यु की संभावना को कम करने के लिए किया जाता है, जिन्हें हृदय रोग होने का सबसे ज़्यादा खतरा है। 

घाव के ऊपर बांधी जाने वाली पट्टी भी गुणवत्ता टेस्ट में फेल 

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कंपनी में बनने वाली पैरासिटामोल की गोलियों की गुणवत्ता संबंधी चिंताओं का ज़िक्र मुख्य रूप से किया गया है। रिपोर्ट में ‘मानक गुणवत्ता से कम’ श्रेणी में 48 दवाओं की लिस्ट बनाई गई जिसमें गॉज रोल नॉन स्टेराइल रोलर बैंडेज (Gauze Roll Non Sterile Roller Bandage) भी शामिल है। बता दें, यह सफ़ेद रंग की सूती कपड़े की पट्टी की तरह होती है जिसका इस्तेमाल घाव को बांधने व ढकने के लिए किया जाता है। आपने अमूमन देखा होगा जब किसी को चोट लगती है तो डॉक्टर उनके घाव के ऊपर दवा लगाकर एक सफ़ेद पट्टी बांधता है जिसे गॉज रोल कहते हैं। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, मानक गुणवत्ता कमी के बारे में तब पता चला जब राज्य औषधि अधिकारियों द्वारा मासिक तौर पर नमूने की जांच की जा रही थी। कुछ दवाओं का उत्पादन हेटेरो ड्रग्स, अल्केम लेबोरेटरीज, एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (HAL), कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, मेग लाइफसाइंसेज और प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर जैसी कंपनियों द्वारा किया गया था।

“नकली/मिलावटी/गलतब्रांडेड” घोषित 5 दवाओं के नाम 

केंद्रीय दवा नियामक ने अगस्त 2024 दो लिस्ट जारी की थीं – एक उन 48 दवाओं की जो गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहीं और दूसरी उन पांच दवाओं की जो “नकली/मिलावटी/गलतब्रांडेड”/  Spurious/Adulterated/Misbranded घोषित की गईं। ये हैं वो पांच दवाएं :- 

  • पल्मोसिल (सिल्डेनाफिल इंजेक्शन)
  • पेंटोसिड (पैंटोप्राजोल टैबलेट आईपी)
  • उर्सोकोल 300 (उर्सोडॉक्सीच ओलिक एसिड टैबलेट आईपी)
  • टेल्मा एच (टेल्मिसर्टन 40 मिलीग्राम और हाइड्रोक्लोरोट हियाजाइड 12.5 मिलीग्राम टैबलेट आईपी)
  • डिफ्लैजाकॉर्ट टैबलेट (डेफकॉर्ट 6 टैबलेट)

दवाओं के परीक्षण में फेल होने की यह है वजह 

दवाओं के गुणवत्ता टेस्ट में विफल होने की वजह निर्माण का खराब तरीका,अपर्याप्त गुणवत्ता नियंत्रण और संदूषण को जिम्मेदार ठहराया गया। संदूषण उसे कहा जाता है जब निर्माण की प्रक्रिया में वस्तु में कोई ऐसा कारक या पदार्थ मिलाया जाता है जिससे निर्माण होने वाले उत्पाद लोगों के लिए व उनकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।  

रिपोर्ट के अनुसार, इन दवाओं में सक्रिय दवा सामग्री (active pharmaceutical ingredients) का अनुसचित और अस्थिर स्तर समस्या को बढ़ाता है। बता दें, एपीआई वह सक्रिय घटक है जो दवा में होता है। उदाहरण के लिए, दर्द निवारक दवा में दर्द से राहत दिलाने वाला सक्रिय घटक शामिल होता है। इसे एपीआई कहते हैं। सक्रिय घटक की थोड़ी मात्रा ही असर करती है, इसलिए दवा में सक्रिय घटक का बहुत कम हिस्सा ही होता है। वहीं जब यही सक्रिय घटक ज़्यादा हो जाता है तो यह व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। 

दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के प्रमुख सलाहकार डॉ. नरेंद्र सिंघला ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, घटिया दवाएं गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती हैं। “जब एपीआई का स्तर गलत होता है या जब संदूषण होता है, तो ये दवाएं दर्द या बुखार जैसी स्थितियों का प्रभावी ढंग से इलाज नहीं कर सकती हैं और प्रतिकूल प्रतिक्रिया भी पैदा कर सकती हैं।”

खराब दवाओं से होने वाले खतरे 

डॉ. सिंघला ने बताया कि खराब दवाओं को लेने से लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। उदाहरण के लिए, जैसे पैरासिटामोल का इस्तेमाल दर्द और बुखार के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन सक्रिय दवा सामग्री का दवा में अस्थिर स्तर होना, संभावित ओवरडोज़ (नियमित से ज़्यादा डोज़) व अप्रभावी उपचार (दवा का असर न होना), दोनों ही गंभीर परिणाम के रूप में सामने आ सकता है। 

यह भी बताया कि इन दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल से लीवर और किडनी संबंधी मुश्किलें हो सकते हैं। इन दवाओं का असर उन व्यक्तियों पर ज़्यादा हो सकता है जो अपनी लंबे समय से चली आ रही बीमारियों के लिए इन दवाओं पर निर्भर हैं व इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। 

खराब दवाइयों की पहचान ऐसे करें 

अगर आपको शक है कि आप पैरासिटामोल या पैन डी (पेट की परेशानी के लिए) दवाओं का कोई खराब बैच इस्तेमाल कर रहे हैं तो सबसे पहले तुरंत ही उन दवाओं का इस्तेमाल करना बंद कर दें। 

साथ ही दवा का बैच नंबर और दवा की समाप्ति की तारीख जांच करना ज़रूरी है। 

खराब दवाओं को या तो आप खरीदने के साथ ही वापस करे दें या उसका सही प्रकार से निपटारा कर दें। 

सही दवा क्या है उसकी पहचान के लिए आप उन पर आईएसओ (मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन) या डब्ल्यूएचओ-जीएमपी (विश्व स्वास्थ्य संगठन गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) जैसे प्रमाणपत्र देखें, जो उस दवा की गुणवत्ता के बारे में बताते हैं। (International Organization for Standardization and World Health Organization Good Manufacturing Practice) 

सीडीएससीओ की अगस्त 2024 की रिपोर्ट में उन दवाओं की सूची, बैच नंबर और उन्हें बनाने की तारीख के साथ (यहां) देखें जिन्हें मानक गुणवत्ता से बाहर बताया गया है। 

(नोट – दवाओं से जुड़ी जानकारी मौजूदा जानकारी के अनुसार लिखी गई हैं, इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप इससे संबंधित विशेषज्ञ से बात करें)

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