यूपी के जिला बाँदा जिला जसपुरा क्षेत्र के आमारा गाँव के रहने वाले लगभग 2 दर्जन किसानों की शिकायत है कि आवारा जानवर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों के हिसाब से गाँव में तकरीबन 300 जानवर ऐसे है, जिनसे किसान काफी परेशान है। समस्या के समाधान के लिए सभी किसान तहसील पैलानी में एसडीएम के ऑफिस में दरख्वास्त भी करने गए।
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किसानों का कहना है कि अगर जल्द से जल्द अधिकारीयों द्वारा कुछ नहीं किया गया तो वह सड़कों पर उतर आएंगे और चक्का जाम कर देंगे। अधिकारीयों द्वारा किसानों को बस आश्वाशन दे दिया गया, लेकिन जानवरों के रख-रखाव के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की गयी। किसानों का कहना है कि जब सरकार जानवरों के भूसा आदि के लिए हज़ारों रूपये भेज सकती हैं तो उनकी व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती।
आवारा गाँव की प्रधान ममता देवी के पति मुन्ना का कहना है कि जब तक किसानों को जानवरों की ज़रुरत होती है, वह उनसे काम लेते हैं और काम खत्म होने के बाद उन्हें ऐसे ही छोड़ देते हैं। वही जानवर उनकी फसलें बर्बाद करते हैं और ये जानवर उन्हीं के होते हैं। साथ ही मुन्ना सिंह का यह भी कहना है कि पिछले साल जानवरों की रख-रखाव में उन्हें 7 लाख का खर्च आया था।
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सरकार द्वारा उन्हें बस 2 लाख 30 हज़ार रूपये दिए गए थे। उनका कहना है कि जब तक सरकार उन्हें पिछले साल के पूरे पैसे नहीं देती, वह जानवरों की व्यवस्था का काम नहीं करेंगे। डीएम से बात करने पर भी अधिकरी द्वारा जानवरों की व्यवस्था के लिए काम क्यों नहीं किया गया ? अगर जानवर इसी तरह किसानों की फसल बर्बाद करते रहेंगे तो क्या सरकार उनके नुकसान की भरपाई करेगी?यूपी के जिला बाँदा जिला जसपुरा क्षेत्र के आमारा गाँव के रहने वाले लगभग 2 दर्जन किसानों की शिकायत है कि आवारा जानवर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
किसानों के हिसाब से गाँव में तकरीबन 300 जानवर ऐसे है, जिनसे किसान काफी परेशान है। समस्या के समाधान के लिए सभी किसान तहसील पैलानी में एसडीएम के ऑफिस में दरख्वास्त भी करने गए। किसानों का कहना है कि अगर जल्द से जल्द अधिकारीयों द्वारा कुछ नहीं किया गया तो वह सड़कों पर उतर आएंगे और चक्का जाम कर देंगे।
अधिकारीयों द्वारा किसानों को बस आश्वाशन दे दिया गया, लेकिन जानवरों के रख-रखाव के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की गयी। किसानों का कहना है कि जब सरकार जानवरों के भूसा आदि के लिए हज़ारों रूपये भेज सकती हैं तो उनकी व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती। आवारा गाँव की प्रधान ममता देवी के पति मुन्ना का कहना है कि जब तक किसानों को जानवरों की ज़रुरत होती है, वह उनसे काम लेते हैं और काम खत्म होने के बाद उन्हें ऐसे ही छोड़ देते हैं।
वही जानवर उनकी फसलें बर्बाद करते हैं और ये जानवर उन्हीं के होते हैं। साथ ही मुन्ना सिंह का यह भी कहना है कि पिछले साल जानवरों की रख-रखाव में उन्हें 7 लाख का खर्च आया था। सरकार द्वारा उन्हें बस 2 लाख 30 हज़ार रूपये दिए गए थे। उनका कहना है कि जब तक सरकार उन्हें पिछले साल के पूरे पैसे नहीं देती, वह जानवरों की व्यवस्था का काम नहीं करेंगे। डीएम से बात करने पर भी अधिकरी द्वारा जानवरों की व्यवस्था के लिए काम क्यों नहीं किया गया ? अगर जानवर इसी तरह किसानों की फसल बर्बाद करते रहेंगे तो क्या सरकार उनके नुकसान की भरपाई करेगी?