खबर लहरिया Blog हिंदी पत्रकारिता के 197 साल व हिंदी पत्रकारिता दिवस

हिंदी पत्रकारिता के 197 साल व हिंदी पत्रकारिता दिवस

भारत का सबसे पहला हिंदी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ था। साल 1826 में शुरू हुआ यह अखबार साप्ताहिक पत्रिका के तौर पर कोलकाता से निकाला गया था।

                                  भारत के पहले हिंदी उदन्त मार्तण्ड अखबार की फोटो/ ट्विटर

Hindi Journalism Day 2023: हिंदी जन-जन की आवाज़ और भावनाओं के संप्रेषण का ज़रिया है। ऐसे में हिंदी भाषी पत्रकारों ने हिंदी के ज़रिये कई समस्याओं को उजागर करने का काम किया है। हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। हिंदी पत्रकारिता के इस लंबे सफर को 197 साल हो गए हैं।

अगर हम हिंदी पत्रकारिता के इतिहास की बात करें तो भारत का सबसे पहला हिंदी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ था। साल 1826 में शुरू हुआ यह अखबार साप्ताहिक पत्रिका के तौर पर कोलकाता से निकाला गया था। इस अखबार के संपादक जुगल किशोर शुक्ल थे जिनके सराहनीय काम को इतिहास कभी नहीं भुला सकता है। यहीं से हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत भी मानी जाती है। दुःखद यह रहा कि यह अखबार ज़्यादा समय तक चल नहीं पाया।

इसके बाद हिंदी पत्रकारिता को कई लोगों को द्वारा आगे लेकर जाया गया जिसमें डॉ. भीम राव अंबेडकर का भी नाम शामिल है। उस समय प्रिंट यानी अखबार-पत्र-पत्रिकाएं और रेडियो ही जनसंचार के प्रमुख साधन थे। उन समय भी मीडिया पर ब्राह्मणों/सवर्णों का पारंपरिक प्रभुत्व था जिसे देखते हुए उन्हें यह समझ आ गया कि जो वह लड़ाई लड़ रहे हैं उसमें मुख्य धारा की मीडिया उनके लिए उपयोगी साबित नहीं होगी,वहां से उन्हें प्रतिरोध एक सामना करना पड़ेगा।

ऐसे में जनता तक अपने विचारों को पहुंचाने के लिए उन्हें कई पत्र निकालने पड़े। उन पत्रों के नाम हैं – मूकनायक (1920), बहिष्कृत भारत (1924), समता (1928), जनता (1930), आम्ही शासनकर्ती जमात बनणार (1940), प्रबुद्ध भारत (1956), उन्होंने संपादन, लेखन और सलाहकार के तौर पर काम करने के साथ इन प्रकाशनों का मार्गदर्शन भी किया।

इसके अलावा हम यहां एक शख्स की और बात करेंगे जिनका नाम है, मृणाम पांडे। मृणाल पांडे एक जानी-पानी हिंदी पत्रकार व हस्ती हैं। उनके द्वारा लिखी गई किताब “द जर्नी ऑफ हिंदी लैंग्वेज जर्नलिज्म इन इंडियाः फ्रॉम राज टू स्वराज एंड बियॉन्ड” में हिंदी पत्रकारिता के शुरूआती दिनों से लेकर न्यूज़ टेलीविज़न के प्रभुत्व और डिजिटल मीडिया के उभार के बारे में कहानी कही गई है जिसे लोग हिंदी पत्रकारिता के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ सकते हैं।

हिंदी पत्रकारिता ने कई लड़ाइयां लड़ी हैं और आज अंग्रेजी और डिजिटल युग में भी लड़ रही है लेकिन इसका इतिहास और बदलता दौर इसके महत्व को बताने के लिए काफी है।

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