लोहिया आवास योजना मड़इन का खाब पियब मुश्किल करे हैं। जहां देखौ होंआ धरना प्रदर्शन होत हैं। गांवन मा देखौ तौ लूट खसोट मची है काहे से कि सूची मा ज्यादातर उंई लोगन के नाम शामिल कीन गे हैं जउन प्रधान अउर लेखपाल के चहेते हैं। अधिकारी कहत हैं कि जउन मड़ई धरना प्रदर्शन करत हैं उंई अपात्र मड़ई आय। सोचै वाली बात तौ या है कि बगैर जांच कीने अउर बिना सोचै समझे अधिकारी या बात कसत बोल सकत है। जब यतना बड़ा अधिकारी या बात बोल सकत है, तौ लेखपाल प्रधान अउर सचिव काहे नहीं बोल सकत।
आवास योजना के सर्वे से तैयार भे सूची मा अब दुबारा से जांच होई। प्रशासन अब दुबारा से सर्वे करावैं मा रूपिया खर्च करी। प्रशासन केतना दावा कइके कही सकत है कि अब दुबारा बनै वाली सर्वे रिपोर्ट मा अपात्र नहीं सिर्फ पात्र मड़इन का शामिल कीन जई? केतना सही है कि आवास दें खातिर दुबारा सर्वे करे गे अधिकारी कर्मचारी मड़इन से रूपिया न लेहैं? साथै या भी कि प्रधान के घर नहीं, मड़इन के घर-घर जा-जा के जांच कीन जई? इं सवालन का जवाब दुबारा कीन जाय वाली सर्वे रिपोर्ट आवैं के बाद ही मिल पइहैं।
दुबारा सर्वे रिपोर्ट से नियाव के उम्मीद
पिछला लेख