‘भुखमरी का कारण खाने की कमी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का न होना है।’ -फ्रांसिस मूर लैप
खाना हम सब की जिंदगी का अहम हिस्सा है। हमारी संस्कृति और मान्यताओं में खाने की एक मुख्य भूमिका है। कोई भी त्यौहार हो, शादी ब्याह हो, वे खाने की बिना अधूरी हैं। यहाँ तक की हमारे त्योहारों की पहचान अलग अलग खाने से होती है। खाने का एक पहलू तो यह है। दूसरा यह है कि जिंदगी को चलाने के लिए खाना सबसे ज़रूरी है। और हमारे देश में लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें एक वक्त का खाना जुटाने में भी मुश्किल आती है। इसलिए, खाना एक ऐसा विषय है जिसमें जितनी रोचकता है, उतनी ही गंभीरता भी। इस विशेषांक में हमने खाने के कुछ पहलुओं पर खास नज़र डाली है। आगे के चार पन्नों में हमने खाने से जुडे़ रीति रिवाज, औरत और खाने का जुड़ाव, खाने की राजनीति, जाति और खाने का रिश्ता और दुनिया के अजब गजब खाने आपके सामने लाये हैं। उम्मीद है ये विशेषांक न सिर्फ जानकारी देगा बल्कि मुद्दों पर सोचने का ज़रिया भी बनेगा।