खबर लहरिया राजनीति ज़िन्दगी गटर में खत्म होने के लिए नहीं है…

ज़िन्दगी गटर में खत्म होने के लिए नहीं है…

26 वर्षीय पुतुल के पति चंदन 30 साल की कम उम्र में जहरीली गैस में दम घुटने के कारण इस दुनिया में नहीं रहें। वह नई दिल्ली के वसंत कुंज इलाके के बंगाली मोहल्ले में रहती हैं। उनके पति चंदन दलिया वसंत स्क्वायर मॉल में काम किया करते थे। उन्होंने सात साल तक वहां काम किया था। वह सफाई का काम किया करते थे जिसके अंतर्गत वर्ल्ड क्लास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा नियोजित हाउसकीपिंग टीम में वह सेप्टिक टैंक साफ़ करने का काम करते थे।

11 नवंबर 2016 को, चंदन और एक अन्य कार्यकर्ता को मॉल के परिसर में एक सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए कहा गया था। चंदन किसी भी सुरक्षात्मक गियर के बिना टैंक में उतर गया और जहरीली गैसों के कारण वहीं उनकी मौत हो गई। हालंकि उनके सहयोगी ने मदद करने के लिए टैंक में छलांग लगा दी थी लेकिन वह भी असफल रहे और खुद भी फंस गये। जब तक उन्हें अस्पताल ले गये, चंदन को मृत घोषित कर दिया गया था और उनके दोस्त की जान बच गयी थी।

पुतुल कहती हैं “जब मैंने यह सुना तो मैं भाग कर मॉल गयी लेकिन मुझे उन लोगों ने चंदन से मिलने भी नहीं दिया। मैं आखिरी बार भी उनको नहीं देख पायी थी। वह कहती है, “मेरे पति को यह अवैध काम करने के लिए रखा गया था। ये गैर-क़ानूनी था लेकिन कोई और नौकरी नहीं  थी इसलिए चंदन इसे छोड़ना नहीं चाहता था”।

वह आगे कहती हैं “ये सब हमारी जाति कि वजह से था। हमें कोई और काम नहीं दिया जा सकता लेकिन यह काम आसानी से दिया जा सकता है। हर कोई जानता है कि टैंकों के अंदर घातक गैस है, फिर भी मेरे पति को उन लोगों ने नीचे जाने दिया। क्यों? क्योंकि हमारी ही जाति है जो यह काम करती आई हैं”

इसी बीच एक आईटी पेशेवर व्यक्ति ने पुतुल की मदद की और पुलिस के पास जा कर एफआईआर दर्ज करने में मदद की। इसमें उनका साथ कुछ गैर सरकारी संगठनों और मोहल्ले के अन्य लोगों ने भी दिया।

इसके बाद मामले की जाँच हुई और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सच्चाई बता दी कि जहरीली गैसों में दम घुट जाने के कारण मौत हुई थी। कंपनी ने रिपोर्ट में हेरफेर करने की कोशिश की थी कि मौत बिजली के कारण हुई है, लेकिन हर कोई सच जानता था।

कई महीनों तक चक्कर लगाने के बाद आखिरकार  चंदन की मौत पर कंपनी की तरफ से 10 लाख का मुआवजा दिया गया। जो कोर्ट केस के बाद ही संभव हो सका था।

विडंबना यह थी कि कंपनी ने पुतुल को भी उसी नौकरी की पेशकश की जिसने उसके पति का जीवन छीन लिया था।

साभार: पारी , अंक 30 मई 2017